मुस्तफा कमाल पाशा वाक्य
उच्चारण: [ musetfaa kemaal paashaa ]
उदाहरण वाक्य
- जब तक कि तुर्की में सुधारवादी मुस्तफा कमाल पाशा ने इसे मध्यकालीन अतीत का प्रतीक मानते हुए बंद नहीं कर दिया.
- (३) सन् १ ९ २ ३-मुस्तफा कमाल पाशा की सरकार द्वारा इस्तांबुल की जगह अंकारा को तुर्की की नई राजधानी बनाया गया।
- तुर्की का अतातुर्क मुस्तफा कमाल पाशा ने तुर्की को आगे बढाने के लिए जो कदम उठाये थे वे निसंदेह शानदार थे...कठमूल्लों की हवा गुम कर दी थी..
- आज के भारत को मनमोहन सिंह या नेहरू नहीं बल्कि सरदार पटेल चाहिए और भारतीय मुसलमानों को चाहिए मुस्तफा कमाल पाशा न कि सलमान खुर्शीद या अकबरूद्दीन।
- जैसे ही तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा सत्ता पर काबिज हुआ मुसलमान लोग कट लिए और केरल में तो हिन्दुओं के खिलाफ दंगा-फसाद भी शुरू कर दिया.
- और अब? एक दिन कुछ महीनो की बात है इसी साल १ ९ ३ ५ में ग़ाज़ी मुस्तफा कमाल पाशा के हुक्म से आया सुफिया मस्जिद नहीं रही ।
- मुसलमान ' वंदे मातरम' नहीं बोल सकते...क्योंकी वे माता की वंदना नहीं बल्की सिर्फ और सिर्फ 'अल्लाह' की वंदना करने की बात करते है तो भाई मुस्तफा कमाल पाशा कौन था,,, जिसके कदमो को चुम कर 'सजदा-ए-पाबोश' करते थे तुम।
- वैसे भी तुर्की में मुस्तफा कमाल पाशा के सत्ता में आने के बाद खिलाफत आंदोलन की हवा निकल चुकी थी और मुस्लिम समाज जिस जोशो खरोश के साथ आंदोलन में उतरा था, उतनी ही फुर्ती से उससे बाहर निकल गया था।
- नेशनल लिबरेशन युद्ध दुनिया में कहीं भी “राष्ट्रीय संधि” के लिए एक राजनीतिक घोषणा पत्र के रूप में है एक “कानूनी दस्तावेज़” एक छोटे से व्यक्त करता है के रूप में किया गया स्वीकार किए जाते हैं किया गया है इस दस्तावेज़ के अनुसार, “मोसुल प्रांत, मुस्तफा कमाल पाशा
- असहयोग आंदोलन में खिलाफत के प्रश्न को शामिल कर के गांधी जी ने इन्हीं दंगों और हिन्दू मुस्लिम के बीच कि खाई को कम करने का एक अवसर पैदा किया था जो मुस्तफा कमाल पाशा के क्रांतिकारी कदम और भारत में अवसरवादी ब्रिटिश समर्थक मुसलमानों के कारण असफल हो गया।