यजुर्वेद संहिता वाक्य
उच्चारण: [ yejureved senhitaa ]
उदाहरण वाक्य
- याज्ञवल्क्य ने वाष्कल मुनि से ॠगवेद संहिता और वैशम्पायन के रुष्ट होने पर भगवान सूर्य से यजुर्वेद संहिता पढ़ी।
- सभी दोषों का मुक्ति दायक शुक्ल यजुर्वेद संहिता के अन्तर्गत ‘ रुद्राष्टाध्यायी ‘ के रुप में भगवान रुद्र का विशद वर्णन है।
- यजुर्वेद संहिता, तेतरीय संहिता, वज्जसनेइ संहिता में बड़ी संख्या को दशमलब विधि में दस की घात जैसे १ ० १ ९ के रुप में दर्शाया गया है।
- 2 और ऋग्वेद 3: 62: 10 में सर्वत्र इसे ‘ निचृत गायत्री ‘ लिखा है (देखें, मूल यजुर्वेद संहिता, वैदिक यंत्रालय, अजमेर, पंचम संस्करण 1927 ई.) अतः स्पष्ट है कि ‘ गायत्री मंत्र ‘ में गायत्री छंद अपूर्ण व दोषपूर्ण है।
- सूर्य देव के वरदान से वह शुक्ल यजुर्वेद या वाजसनेयी संहिता के आचार्य हुए तथा इनका दूसरा नाम वाजसनेय हुआ और मध्य दिन के समय ज्ञान प्राप्त होने से ‘ माध्यन्दिन ' शाखा का उदय हुआ एवं शुक्ल यजुर्वेद संहिता के मुख्य मन्त्र द्रष्टा ऋषि याज्ञवल्क्य हैं अत: शुक्ल यजुर्वेद हमें महर्षि याज्ञवल्क्य जी द्वारा प्राप्त हुआ है.
- याज्ञवल्क्य जी द्वारा रचित ग्रंथों की श्रेणी में सर्वप्रथम ग्रंथ शुक्ल यजुर्वेद संहिता प्राप्त होता है इसके 40 अध्यायों में पद्यात्मक मंत्र तथा गद्यात्मक यजुर्वेद भाग का संग्रह है इसके विषय ये हैं दर्शपौर्णमास इष्टि, अग्न्याधान, सोमयज्ञ, वाजपेय, राजसूय, अग्निचयन, सौत्रामणी, अश्वमेघ, शिवसंकल्प उपनिषद, ईशोपनिषत जैसे विषय देखे जा सकते हैं.