राजिन्दर सिंह बेदी वाक्य
उच्चारण: [ raajinedr sinh bedi ]
उदाहरण वाक्य
- प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।
- प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।
- प्रख्यात लेखक राजिन्दर सिंह बेदी द्वारा रचा गया उपरोक्त्त वचन ब्रिटिश राज से नये नये स्वाधीन हुये भारत की सच्चाई पर कसा गया वह व्यंग्य बाण है जिसे अपने अस्तित्व पर सहन करने के बाद भारत नामक लोकतांत्रिक देश को शर्मिंदा होकर चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिये था परंतु भारत और इसके लोगों ने अपनी चमड़ी गेंडे की खाल से भी मोटी कर ली और भ्रष्टाचार को अपना मुख्य धर्म बना लिया और ऐसे परिवेश में इने-गिने ईमानदार लोगों की हत्यायें होती चली गयीं और यत्र-तत्र-सर्वत्र, भ्रष्टाचार का ही वास हो गया।