रामकिंकर उपाध्याय वाक्य
उच्चारण: [ raamekinekr upaadheyaay ]
उदाहरण वाक्य
- पं. ब्रज नंदन शर्मा रामकथा के प्रसिद्ध व्याख्याकार पंडित रामकिंकर उपाध्याय के अनुसार विभिन्न भाषाओं में तीन सौ से ज्यादा रामायण दुनियाभर में प्रचलित है।
- रामचरितमानस के अध्येता पण्डित रामकिंकर उपाध्याय ने अपने एक प्रवचन में कहा था ; ' ईश्वर कहता है कि पहले अपने पुरुषार्थ का पुल तो बनाओ, उसके पश्चात कृपा का पुल हम बना देंगे।
- रामकाज के विशद् संदर्भों की आख्या करते हुए पंडित रामकिंकर उपाध्याय कहते हैं कि “वेदान्तियों की दृष्टि में सीता शांति हैं, भक्तों की दृष्टि में वे भक्ति हैं, कर्मयोगी की दृष्टि में वे शक्ति हैं और तुलसीदास जैसे अपने आप को दीन मानने वालों की दृष्टि में वे माँ हैं।
- इसी वर्ग में महाराष्ट्र के स्वाध्यायी आन्दोलन वाले पाण्डुरंग शास्त्री, गुजरात वाले आशाराम, मुरारी बापू, रामकिंकर उपाध्याय, रजनीश, समस्त महामण्डेश्वरगण, तथाकथित भागवत कथा-गीताकथा को ज्ञानयज्ञ कहकर प्रचार करने वाले कथावाचकगण, चिन्मय मिशन के चिन्मयानन्द (मृत)-वर्तमान तेजोमयानन्द, पाण्डीचेरी वाले अरविन्द (मृत)-वर्तमान में अरविन्द सोसाइटी, प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी वाले आदि-आदि सहित प्रस्तुत शीर्षक वाला निराकार-निरंकार वाला हरदेव भी इसी वर्ग (श्रेणी) में आते हैं ।