लक्ष्मीचंद्र जैन वाक्य
उच्चारण: [ leksemichender jain ]
उदाहरण वाक्य
- मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।
- इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ. सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ. मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।
- इस गोष्ठी में काका कालेलकर, हरेकृष्ण मेहताब, निसीम इजेकिल, डॉ. सुनीति कुमार चैटर्जी, डॉ. मुल्कराज आनंद, सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, सियारामशरण गुप्त, रामधारी सिंह दिनकर, उदयशंकर भट्ट, जगदीशचंद्र माथुर, डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी.आर.बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, मन्मथनाथ गुप्त, लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।
- हमलोग अपने प्राध्यापकों-डॉ. प्रतिभा अग्रवाल, सुकीर्ति गुप्ता और कलकत्ता की नामचीन हस्तियों-सीताराम सेकसरिया जी, लक्ष्मीचंद्र जैन, कुंथा जी, कृष्णाचार्य, भंवरमल सिंघी जी के नामों के साथ बाँटे गए फुलझड़ीनुमा जुमलों को ढूँढते, आपस में साझा करते और निर्णय लेते कि सबसे बढ़िया जोरदार उपाधि कौन सी रही इस बार।
- प्रेमचंद्र के पुत्र श्रीपतराय ने ‘ कहानी ' और छोटे पुत्र अमृतराय ने ‘ हंस ' का पुनर्प्रकाशनन शुरू किया और दक्षिण भारत के हैदराबाद से बद्री विशाल पित्ती ने ‘ कल्पना ' निकाली. कोलकाता से भारतीय ज्ञानपीठ के लक्ष्मीचंद्र जैन, शरद देवड़ा का ‘ ज्ञानोदय ' आया. पटना के ‘ पाटल ' और उदयराज सिंह-रामवृक्ष बेनीपुरी की ‘
- [[मुल्कराज आनंद]], सुरेंद्र मोहंती, देवेश दास, [[सियारामशरण गुप्त]], [[रामधारी सिंह ' दिनकर ']], उदयशंकर भट्ट, [[जगदीशचंद्र माथुर]], डॉ. नगेन्द्र, डॉ. बी. आर. बेंद्रे, जैनेंद्र कुमार, [[जैनेन्द्र कुमार]], [[मन्मथनाथ गुप्त]], लक्ष्मीचंद्र जैन आदि प्रख्यात विद्वानों ने भाग लिया।