वसुधैवकुटुम्बकम् वाक्य
उच्चारण: [ vesudhaivekutumebkem ]
उदाहरण वाक्य
- उदात्त वृत्ति की सीमा सम्पूर्ण वसुधा थी. जीवन का आदर्श ‘ वसुधैवकुटुम्बकम् ' था. भौतिकवादिता को छोड़ व्यवसायों के क्षेत्र में प्रतियोगिता नहीं के बराबर थीं.
- हम अपने देश में वसुधैवकुटुम्बकम् की बात करते रहे हैं, कौटुम्बीय जीवन पर हमारी आस्था रही है, घर के बुजुर्ग आशीर्वाद रहे हैं, लेकिन आज उसी कुटुम्ब में उनके लिए कोई जगह नहीं रह गई है।
- वैसे तो ‘ वसुधैवकुटुम्बकम् ' का सूत्र साहित्य एवं अन्य कला रूपों के केंद्र में रहा है, फिर भी अलग-अलग स्तरों पर जीते हुए कभी हम स्थानीयता या आंचलिकता के मान-बिन्दुओं की तलाश करते हैं तो कभी राष्ट्रीयता के।
- संत का स्वभाव तो कपास के वृक्ष जैसा होता है, जो किसी रस (भोग-विलास की लालसा) से रहित, विस्तारपूर्ण (वसुधैवकुटुम्बकम् की भावना से ओत-प्रोत), व उसका फल अनेक गुणों (ऐसी योग्यतायें जो परमार्थ के काम आती हैं) से युक्त होता है ।
- नहीं तो यह कैसे होता कि जिस देश ने ‘ वसुधैवकुटुम्बकम् ' का आदर्श संसार के सामने रखा, उसी ने जात-पाँत की व्यवस्था भी दी-और ऐसे विकट रूप में कि वह इस्लाम और ईसाइयत पर भी हावी हो जाए? नये ईसाइयों को छूआछूत बरतते देखकर हमने एक बार आश्चर्य प्रकट किया था तो उन्होंने कहा था, “ इसाई हो गये तो क्या हुआ, धर्म थोड़े ही छोड़ दिया है? ” जिसने कहा ‘ तत्त्वमसि ', ‘ शिवोहम् ', ‘ अहं ब्रह्मास्मि ', उसी ने तैंतीस कोटि देवता भी गिना दिये?