वोले शोयिंका वाक्य
उच्चारण: [ vol shoyinekaa ]
उदाहरण वाक्य
- बिना मुझसे पूछे, बरनवाल जी ने जिन्ना एक पुनर्दृष्ठि भेंट कर दी और इसी के साथ अश्वेत साहित्यकार और नोबेल पुरस्कार विजेता नाइजीरिया के कवि वोले शोयिंका की किताब भी दी।
- वोले शोयिंका की कविताओं के अनुवाद से पहले आठ नाइजीरियाई कवियों की चुनी हुई कविताओं के अनवाद का एक संकलन “ पानी के छीटें सूरज के चेहरे पर ” प्रकाशित हो चुका है।
- अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को प्रकट करने वाले आधुनिक कवियों में वोले शोयिंका का नाम उल्लेखनीय है।
- [31] अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को प्रकट करने वाले आधुनिक कवियों में वोले शोयिंका का नाम उल्लेखनीय है।
- नोबल पुरस्कार के इतिहास में अब तक सिर्फ तीन अश्वेत साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया है, जिनमें वोले शोयिंका और टोनी मॉरिसन के साथ डेरेक वालकोट का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
- नोबल पुरस्कार के इतिहास में अब तक सिर्फ तीन अश्वेत साहित्यकारों को पुरस्कृत किया गया है, जिनमें वोले शोयिंका और टोनी मॉरिसन के साथ डेरेक वालकोट का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
- [31] अश्वेत अफ्रीका की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक विश्वास में युगों-युगों से रचे-बसे मिथकों की काव्यात्मकता और उनकी नई रचनात्मक सम्भावनाओं को प्रकट करने वाले आधुनिक कवियों में वोले शोयिंका का नाम उल्लेखनीय है।
- विश्व श्रृंखला की पहली पुस्तक के रूप में नाइजीरिया के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सुविख्यात कवि वोले शोयिंका की कविताओं का संग्रह हिन्दी पाठकों को समर्पित करते हुए भारतीय ज्ञानपीठ अपने साहित्यिक दायित्व के निर्वाह में एक और नया कदम उठा रहा है।
- दुनिया भर में चल रहे जनसंघर्षों के प्रबल प्रवक्ता वोले शोयिंका ने नेल्सन मंडेला से लेकर आम आदमी तक के लिए सैंकडों कविताएं लिखी हैं, जिसने दुनिया भर के संघर्षरत लोग प्रेरित होते हैं और उनकी रचनाओं के माध्यम से अपने सतत संघर्षों को धार देते हैं।
- यह स्थिति सिर्फ दक्षिण एशिया के ही कुछ देशों की नहीं हुई, कई अफ्रीकी देशों में भी बिल्कुल यही तरीका अपनाया गया, जिसके विरोध की कीमत नाईजीरियाई कवि केन सारो वीवा को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी और साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके कवि वोले शोयिंका को हथियार उठाने पर मजबूर होना पड़ा।