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व्यंजन वर्ण वाक्य

उच्चारण: [ veynejn vern ]

उदाहरण वाक्य

  1. यह अध्यात्मिक श्वांस है, एक पवित्र ध्वनि है जो की मूलध्वानी है, जिसके अन्दर ९ स्वर वर्ण, दो योगिक वर्ण और २ ६ व्यंजन वर्ण समाहित है।
  2. ऐसी भौगोलिक सीमा को कहते हैं जिसके पार भाषा का कोई पहलु बदल जाता हो, मसलन किसी स्वर वर्ण का उच्चारण, किसी व्यंजन वर्ण को उच्चारण करने का लहजा, इत्यादि।
  3. अर्थात व्यंजन वर्ण के अशुद्ध उच्चारण से आयुका नाश होता है और स्वर वर्ण के अशुद्ध उच्चारण से रोग होते हैं, अशुद्ध उच्चारणसे युक्त मंत्रद्वारा अभिमंत्रित अक्षत सिरपर वज्रपात सामान गिरता है।
  4. वसुंधरा कार्णिक को ऐसा लगा मानों उसके जीवन से सारे स्वर निकल चुके हों और केवल ठस्स व्यंजन वर्ण बचे रह गये हों जिनके बगैर जीवन का कोई सार्थक मतलब न निकले, केवल ठूंठ संकेत खड़े हों जहां तहां।
  5. अंगरेजी में सामान्यतः यह नियम देखने में आता है कि जिन शब्दों में ` $ a & e ' के क्रम में स्वर तथा व्यंजन वर्ण हों उनमें ` a ' की ध्वनि ‘ ए ' जैसी होती है ।
  6. प्राकृत भाषा का यह सिध्दान्त है कि त वर्ग ; ' ण ' ' ह ', और ' र ' के अतिरिक्त जब किसी दूसरे व्यंजन वर्ण के बाद यकार होता है तो प्राय: उसका लोप हो जाता है, और तत् संयुक्तवर्ण के द्वित्व प्राप्त होता है।
  7. वारंगक्षिति में ९ स्वर्ण वर्ण २ यौगिक वर्ण एवं २ १ व्यंजन वर्ण हैं, वर्तमान हो लोगों में प्रचलित वारंगक्षिति की खोज देवांतुरी ऋषि ने अध्यात्म के सहयोग से किया था, कहा जाता है की देवांतुरी ऋषि (धन्वन्तरी) ने ही आयुर्वेद चिकित्सा (जड़ीबूटी) का खोज किया था।
  8. नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
  9. नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षीव्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियोंके साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्यनासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्यएवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्यनासिक्य/म्/लिखा जाता है.
  10. नासिक्य-देवनागरी वर्णमाला में हमें प्रत्येक स्पर्श अथवा स्पर्श-संघर्षी व्यंजन वर्ग के अंत में एक नासिक्य व्यंजन वर्ण भी मिलता है जैसे कंठ्य ध्वनियों के साथ अ कंठ्य नासिक्य ध्वनि [ब्] है तो मूर्धन्य ध्वनियों के साथ ण, मूर्धन्य नासिक्य [न्] है, तालव्य ध्वनियों के साथ ञ, तालव्य नासिक्य [ण्] है, और दंत्य एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य के साथ न एवं म, क्रमशः दंत्य नासिक्य [न्] एवं द्वयोष्ठ्य नासिक्य /म्/ लिखा जाता है।
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