व्याकरणशास्त्र वाक्य
उच्चारण: [ veyaakerneshaasetr ]
उदाहरण वाक्य
- भर्तुहरि संस्कृत के व्याकरणशास्त्र के एक महान गंभीर मनीषी के रूप में प्रसिद्ध हैं।
- ऐसी शब्दों की व्यवस्था नित्यता अथवा प्रवाहनित्यता भर्तुहरि ने व्याकरणशास्त्र में सर्वप्रथम बतलाई है।
- छंद एवं व्याकरणशास्त्र में भी नगण, भगण, स्वादिगण और अदादि आदि गण होते हैं।
- उस भ्रांत कल्पना को हटाकर भर्तृहरि ने व्याकरणशास्त्र की परम्परा और प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
- इस रीति से ' नित्या: शब्दार्थ संबंध':-यह व्याकरणशास्त्र का सिद्धांत भर्तुहरि ने समर्थित किया है।
- वैकल्पिक रूपों के परिचयन में भी भाषाविज्ञान और तदंगभूत व्याकरणशास्त्र अत्यंत सहायक होते हैं ।
- वाक्यपदीय व्याकरणशास्त्र का ग्रंथ है, फिर भी उसमें शब्दसिद्धि का प्रक्रियात्मक अत्यल्प रूप से मिलता है।
- इसी प्रकार व्याकरणशास्त्र में अद्यतन काल का प्रयोग मध्यरात्रि से दूसरी मध्यरात्रि तक के लिये होता है।
- वाक्यपदीय व्याकरणशास्त्र का ग्रंथ है, फिर भी उसमें शब्दसिद्धि का प्रक्रियात्मक अत्यल्प रूप से मिलता है।
- अंतिम दस कारिकाओं में व्याकरणशास्त्र परम्परा का उत्कर्ष और अपकर्ष कैसे हुआ, यह संक्षेप में कहा है।