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शबे बरात वाक्य

उच्चारण: [ sheb beraat ]

उदाहरण वाक्य

  1. 100 से अधिक घायलों में बड़ी संख्या उन भिखारियों की बताई गई जो शबे बरात के दिन, दूर-दूर से चल कर, वहाँ की रहमानी मस्जिद के सामने और मस्जिद के थोड़े फ़ासले पर बड़ा कब्रिस्तान के इर्द-गिर्द बैठे थे.
  2. शबे बरात के दिन का रोज़ा रखना भी साबित नही, इसी प्रकार कब्रिस्तान की ज़िरात और रूहों का आना और उन के लिए खाना और हल्वे और दुसरी चीज़े पका कर उस पर फातिहा पढ़ाना सब बिदअत और खुराफात के लिस्ट में आता है जैसा के मुहद्देसीन उलमा ने फरमा दिया है।
  3. शबे बरात के दिन का रोज़ा रखना भी साबित नही, इसी प्रकार कब्रिस्तान की ज़िरात और रूहों का आना और उन के लिए खाना और हल्वे और दुसरी चीज़े पका कर उस पर फातिहा पढ़ाना सब बिदअत और खुराफात के लिस्ट में आता है जैसा के मुहद्देसीन उलमा ने फरमा दिया है।
  4. सब इसी में मगन थे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि कोई उनके हाथ का नहीं खाए? मगर यही शब्बीर मास्टर, उस्तानी जी, यूसुफ मियां, शकूर या रहमान, मजिस्ट्रेट साहब, ए राम साहब वगैरह जब ईद या शबे बरात में सेवई, बर्फी आदि भेजते तो उसे कोई नहीं खाता था।
  5. शबे बरात का जिक्र करते हुए अल्लाह के रसूल ने एक बार फरमाया कि इस रात अल्लाह के फरिश्ते हजरत जिबराईल मेरे पास आये और कहा कि यह वह रात है, जिसमें अल्लाहतआला रहमत के दरवाजों में से तीन सौ दरवाजे खोलता है और हर उस शख्स को बख्श देता है, जो अल्लाह की जात में किसी को शरीक न करता हो।
  6. तो उन्हे ने उत्तर दिया, शाबान की पंदर्हवी रात (शबे बरात) के बारे में आई सब हदीस ज़ईफ और निहायत कमज़ोर हैं बल्कि वह मौज़ूअ और मन्घड़त हैं, इस रात में न कोइ खास इबादत और न ही तिलावत, और न जमाअत है, जिन उलमा ने इस की अहमीयत बयान किया है, उनकी बात कमज़ोर है, इस रात में कोइ खास अमल जाइज़ नही है।
  7. (लताइफुल मआरिफ) शाबान महीने की पंद्रहवी रात जिसे उर्फ आम में शबे बरात कहा जाता है, जिस की फज़ीलत और उत्तमता के प्रति सीमा का उलंघण किया गया है, शबे बरात के प्रति जितनी भी हदीसें बयान की जाती हैं, सब हदीसें बहुत ही ज़ईफ तथा कम्ज़ोर और मन्घड़त हैं जैसा कि हदीसों के बड़े बड़े विद्वानों ने कहा है, केवल एक हदीस जो शबे बरात के प्रति आइ है और उसे इमाम अलबानी ने हसन हदीस कहा है।
  8. (लताइफुल मआरिफ) शाबान महीने की पंद्रहवी रात जिसे उर्फ आम में शबे बरात कहा जाता है, जिस की फज़ीलत और उत्तमता के प्रति सीमा का उलंघण किया गया है, शबे बरात के प्रति जितनी भी हदीसें बयान की जाती हैं, सब हदीसें बहुत ही ज़ईफ तथा कम्ज़ोर और मन्घड़त हैं जैसा कि हदीसों के बड़े बड़े विद्वानों ने कहा है, केवल एक हदीस जो शबे बरात के प्रति आइ है और उसे इमाम अलबानी ने हसन हदीस कहा है।
  9. (लताइफुल मआरिफ) शाबान महीने की पंद्रहवी रात जिसे उर्फ आम में शबे बरात कहा जाता है, जिस की फज़ीलत और उत्तमता के प्रति सीमा का उलंघण किया गया है, शबे बरात के प्रति जितनी भी हदीसें बयान की जाती हैं, सब हदीसें बहुत ही ज़ईफ तथा कम्ज़ोर और मन्घड़त हैं जैसा कि हदीसों के बड़े बड़े विद्वानों ने कहा है, केवल एक हदीस जो शबे बरात के प्रति आइ है और उसे इमाम अलबानी ने हसन हदीस कहा है।
  10. बाइकर्स का हुडदंग पुलिस ने खुद ही बढ़ने दिया था जिस ढुलमुल रवैये से इन बाइकर्स को डील किया गया वह अपने आप में चौंकाने वाला व्यवहार रहा है लगभग एक माह पूर्व ही शबे बरात की रात को दिल्ली में बाइकर्स ने उत्पात मचाया था तब दिल्ली पुलिस ने उत्पातियों को सख्ती से नहीं दबाया न कोई गिरफ्तारी न कोई मुकदमा बस जैसे तैसे उत्पातियों को भगा दिया और कर्तव्य की इतिश्री कर ली गयी नतीजा एक माह के अंदर ही दूसरे बाइकर्स उत्पात के रूप में सामने आया जिसमे एक जान चली गयी।
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