शारंगदेव वाक्य
उच्चारण: [ shaarengadev ]
उदाहरण वाक्य
- अन्य कृति शारंगदेव का ग्रंथ ‘ संगीत-रत्नाकर ' है जो तेहरवीं शताब्दी में लिखा गया था।
- भरत् नाट्य शास्त्र के बाद शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- भरत् नाट्य शास्त्र के बाद शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- भरत मुनिको नाटयशास्त्र पछि मतङ्ग मुनिको बृहद्देशी, र शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टिले सबै भन्दा महत्वपूर्ण ग्रंथ मानिन्छ।
- उसके पश्चात तो फिर मतंग, नंदिकेश्वर, शारंगदेव आदि के ग्रंथ भी भारतीय संगीत का विशद विवेचन प्रस्तुत करते हैं।
- यह ग्रन्थ ६०० वर्षों से संगीत-शास्त्रियों का पथ प्रदर्शक रहा. शारंगदेव के पिता काश्मीर निवासी थे, जो बाद में जा बसे थे.
- शारंगदेव ने संगीत के इस व्यापक ज्ञान को जैसी संक्षिप्तता, सूक्ष्मता और स्पष्टता के साथ समेटा है वह आश्चर्य में डालने वाला है।
- भरत मुनि के नाटयशास्त्र के बाद मतङ्ग मुनि की बृहद्देशी, और शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- भरत मुनि के नाटयशास्त्र के बाद मतङ्ग मुनि की बृहद्देशी, और शारंगदेव रचित संगीत रत्नाकर, ऐतिहासिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।
- शारंगदेव के ' संगीत-रत्नाकर' में कहा गया हैं कि 'गीतंवाद्यं तथा नृत्यं त्रय सगीत-~ मुच्यतें' अर्थात् गाना, बजाना और नृत्य इन तीनों कासमन्वित रूप संगीत है.