शारदातिलक वाक्य
उच्चारण: [ shaaredaatilek ]
उदाहरण वाक्य
- अतः जिन्हें अधिक इससे रस हो, उन्हें कुण्डसिद्धि, भविष्य, वायु पुराण, अनुष्ठान प्रकाश, पश्चसार, क्रियासार समुच्चय, शारदातिलक आदि ग्रन्थों का पूर्णतया अवलोकन करना चाहिये ।
- शारदातिलक 8 / 161 में उल्लेख किया गया है कि अधिक श्री की कामना करने वाले व्यक्ति को सदा सत्यवादी होना चाहिए, पश्चिम की ओर मुंह करके भोजन करना तथा हंसमुख मधुर भाषण करना चाहिए।
- योग कुण्डल्युपनिषद महानिर्वाण तंत्र षट्चक्र निरुपणम ध्यान बिन्दू उपनिषद् योगार्णव तंत्र कुलार्णव तंत्र शारदातिलक इत्यादि ग्रंथों में कुण्डलिनी-इड़ा पिंगला सुषुम्ना, मेरुदण्ड एवं मूलाधार सहस्रार रूपी दो केन्द्रों संबंधी जो विवेचन किया गया है उसे विज्ञान सम्मत भाषा में एक सीमा तक ही प्रस्तुत किया जा सकता है ।
- परन्तु शारदातिलक के अनुसार इनका मुख्य ध्यान इस प्रकार है-भगवती गायत्री के पाँच मुख हैं, जिन पर मुक्ता, वैदूर्य, हेम, नीलमणि तथा धवल वर्ण की आभा सुशोभित है, त्रिनेत्रों वाली ये देवी चन्द्रमा से युक्त रत्नों का मुकुट धारण करती हैं तथा आत्मतत्त्व की प्रकाशिका हैं।