श्यामानन्द जालान वाक्य
उच्चारण: [ sheyaamaanend jaalaan ]
उदाहरण वाक्य
- छपते-छपते ', ‘ लहरों के राजहंस ', ‘ शुतुरमुर्ग ' तथा ‘ इन्द्रजीत ' इन चारों के निर्देशक श्यामानन्द जालान थे।
- सन् 1971 में अनामिका से श्री श्यामानन्द जालान का अलग होना, इस घटना को कोलकाता का कोई नट्य प्रेमी भुला नहीं पायेगा।
- श्री श्यामानन्द जालान 13 जनवरी 1934 को जन्मे श्री जालान का लालन पालन एवं शिक्षा-दीक्षा मुख्यतः कलकत्ता एवं मुजफ्फरपुर में ही हुई हैं।
- परिचय: श्री श्यामानन्द जालान 13 जनवरी 1934 को जन्मे श्री जालान का लालन पालन एवं शिक्षा-दीक्षा मुख्यतः कलकत्ता एवं मुजफ्फरपुर में ही हुई हैं।
- प्रमुख भारतीय निर्देशकों इब्राहीम अलकाजी, ओम शिवपुरी, अरविन्द गौड़, श्यामानन्द जालान,राम गोपाल बजाज और दिनेश ठाकुर ने मोहन राकेश के नाटको का निर्देशन किया ।
- ‘ आधे-अधूरे ' नामक अपने इस ‘ नए-नाटक ' के लेखन के दौरान राकेश ने सुप्रसिद्ध अभिनेता-निर्देशक और मित्र श्यामानन्द जालान से कई बार बातचीत की।
- श्यामानन्द जालान ने अनामिका में रहते हुए, अनामिका की ही एक अन्य कलाकार ' चेतना ' से पहली पत्नी ' किरण ' के रहते-रह्ते ही दूसरा विवाह कर लिया, जो ' अनामिका ' जैसी संस्था के नाम पे बदनुमा धब्बा था ।
- घर-बाहर ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1961: श्यामानन्द जालान), ‘ छपते-छपते ' (मिहिल सेबेशियन, 1963: श्यामानन्द जालान), ‘ शेष रक्षा ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1963: प्रतिभा अग्रवाल), ‘ मादा कैक्टस ' (लक्ष्मीनारायण लाल, 1964: श्यामानन्द जालान), ‘ छलावा ' (परितोष गार्गी, 1964: प्रतिभा अग्रवाल) एवं ‘ कांचन रंग ' (शंभु मित्र तथा अमित मैत्र, 1965: कृष्ण कुमार) नाटक प्रस्तुत किए गए।
- घर-बाहर ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1961: श्यामानन्द जालान), ‘ छपते-छपते ' (मिहिल सेबेशियन, 1963: श्यामानन्द जालान), ‘ शेष रक्षा ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1963: प्रतिभा अग्रवाल), ‘ मादा कैक्टस ' (लक्ष्मीनारायण लाल, 1964: श्यामानन्द जालान), ‘ छलावा ' (परितोष गार्गी, 1964: प्रतिभा अग्रवाल) एवं ‘ कांचन रंग ' (शंभु मित्र तथा अमित मैत्र, 1965: कृष्ण कुमार) नाटक प्रस्तुत किए गए।
- घर-बाहर ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1961: श्यामानन्द जालान), ‘ छपते-छपते ' (मिहिल सेबेशियन, 1963: श्यामानन्द जालान), ‘ शेष रक्षा ' (रवीन्द्रनाथ ठाकुर, 1963: प्रतिभा अग्रवाल), ‘ मादा कैक्टस ' (लक्ष्मीनारायण लाल, 1964: श्यामानन्द जालान), ‘ छलावा ' (परितोष गार्गी, 1964: प्रतिभा अग्रवाल) एवं ‘ कांचन रंग ' (शंभु मित्र तथा अमित मैत्र, 1965: कृष्ण कुमार) नाटक प्रस्तुत किए गए।