श्रद्धाराम फिल्लौरी वाक्य
उच्चारण: [ sherdedhaaraam filelauri ]
उदाहरण वाक्य
- इस आरती के रचयिता थे पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी.
- श्रद्धाराम फिल्लौरी की भाग्यवती को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यास होने का श्रेय दिया जाता है।
- कि लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता पं. श्रद्धाराम शर्मा या श्रद्धाराम फिल्लौरी थे।
- श्रद्धाराम फिल्लौरी की भाग्यवती को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यास होने का श्रेय दिया जाता है।
- श्रद्धाराम फिल्लौरी की ' भाग्यवती ' और लाला श्रीनिवास दास की ' परीक्षा गुरू ' को भी हिन्दी के प्रथम उपन्यस होने का श्रेय दिया जाता है।
- पं. श्रद्धाराम शर्मा (या श्रद्धाराम फिल्लौरी) (१ ८ ३ ७-२ ४ जून १ ८८ १) लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता हैं।
- इस आन्दोलन में साहित्यकारों, समाजसेवियों (नवीन चन्द्र राय, श्रद्धाराम फिल्लौरी, स्वामी दयानन्द सरस्वती, पंडित गौरीदत्त, पत्रकारों एवं स्वतंत्रतता संग्राम-सेनानियों (महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन आदि) का विशेष योगदान था।
- अठारह वर्ष न्यूनतम आयु का प्रावधान शारदा ऐक्ट १ ८ ५ ६ ई. के बाद ही सम्भव हो पाया था जबकि ' भाग्यवती ‘ में श्रद्धाराम फिल्लौरी पं. उमादत्त के जरिये लड़के और लड़की के विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः ग्यारह और अठारह का संदेश देकर वक्त से थोड़ा आगे चलने का संकेत देते हैं।
- विभिन्न रस्मो-रिवाजों से लेकर पर्वों-त्योहारों व आज़ादी की हलचलों को स्वर प्रदान करते अनगिनत लोकगीतों के साथ-साथ इस काल में कथावाचक श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा रचित बहु-प्रचलित आरती ‘ ॐ जय जगदीश हरे … ' भी इस कथन का सशक्त उदाहरण है जिसके रचयिता का नाम अधिकतर लोग नहीं जानते और न ही जानने के प्रति जिज्ञासु हैं।।
- यह बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हिन्दी के इतिहासकारों के अग्रणी आचार्य रामचन्द्र शुक्ल तक ने इसकी उपेक्षा करके पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी की ‘भाग्यवती‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1877) लाला श्रीनिवासदास की ‘परीक्षा गुरु‘ (प्रकाशन-वर्ष सन् 1882) नामक पुस्तकों को अपने ‘हिंदी साहित्य की इतिहास‘ नामक ग्रन्थ में क्रमशः ‘हिन्दी का पहला सामाजिक उपन्यास' और ‘अंग्रेजी ढंग का पहला हिन्दी उपन्यास‘