श्रावण शुक्ल तृतीया वाक्य
उच्चारण: [ sheraaven shukel teritiyaa ]
उदाहरण वाक्य
- तक उद्देश्य पूर्ति में ही लगे रहे | उन्हे निन्दा और स्तुति दोनो ही समान थी | धरातल में मुक्ति को देने वाली श्री भगवत् भक्ति का प्रचार कर १८६१ संवत के में श्रावण शुक्ल तृतीया को श्री राम प्रसाद जी महाराज
- शिव-पार्वती के मिलन से उत्पन्न कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया | मान्यता है कि श्रावण शुक्ल तृतीया को ही शिव के घर में पार्वती पदार्पण हुआ था | यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि शिव पार्वती का पुनर्मिलन लोक कल्याण की भावना से हुआ था न कि किसी काम भावना के कारण | इसीलिये तो शिव ने उनके यज्ञ में बाधा डालने आए कामदेव को भी भस्म कर दिया था | अतः शिव पार्वती के मिलन का यह पर्व भी इसी प्रकार सात्विक भावना के साथ मनाया जाना चाहिये |