सप्तपर्णा वाक्य
उच्चारण: [ septeprenaa ]
उदाहरण वाक्य
- मौलिक रचनाकार के अलावा उनका एक रूप सृजनात्मक अनुवादक का भी है जिसके दर्शन उनकी अनुवाद-कृत ‘ सप्तपर्णा ' (1960) में होते हैं।
- ' सप्तपर्णा ' के अंतर्गत आर्षवाणी, वाल्मीकि, थेरगाथा, अश्वघोष, कालिदास और भवभूति के बाद सातवें सोपान पर महादेवी वर्मा ने जयदेव को प्रतिष्ठित किया है।
- वाइस ऑफ़ दिल्ली रवि शुक्ला की आवाज़ को ज़रूरत है रियाज़ की रीवा मध्य प्रदेश की मुकुल सोनी ने “रुक जा ऐ हवा” गाकर सप्तपर्णा को चुनौती दे ही दी.
- अश्वघोष के बाद ' सप्तपर्णा ' में कालिदास को ऐसे व्यक्तित्व के रूप में देखा गया है जिसे भारत की वाग्देवता संचारिणी दीपशिखा के समान उद्भासित करके फिर अतीत के अंधकार में नहीं छोड़ जा सकी।
- इस प्रकार, महादेवी जी ने ' सप्तपर्णा ' में संस्कृत और पालि साहित्य के चयनित अंशों का काव्यानुवाद प्रस्तुत करते समय अपनी दृष्टि भारतीय चिंतनधारा और सौंदर्यबोध की परंपरा के इतिहास पर केंद्रित रखी है।
- => दूसरे दिन के शो की शुरुआत में आभास जोशी ने गाकर बताया की “मैं हूँ डॉन...!” फ़िर तो सप्तपर्णा की ज़ोरदार परफार्मेंस ”के सरा....सरा....” पर मोहित होना लाजिमी था जबकि त्रिपुरा की देबारथी की प्रस्तुति सामान्य थी.
- वैसे महादेवी जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार का सम्मान उनके अनूठे काव्यसंग्रह व रहस्यवाद के सुन्दरतम् रचनाओं मे से एक यामा (1940) के लिए हेतु दिया गया किन्तु इसके अतिरिक्त भी उनकी अनेकोंनेक अद्भुत काव्यरचनाएँ, जैसे नीहार (1929), रश्मि (1932), नीरजा (1933), सांध्यगीत (1935), दीपशिखा (1942), प्रथम आयाम (1980), अग्निरेखा (1988), सप्तपर्णा इत्यादि हैं ।