समवाय सम्बन्ध वाक्य
उच्चारण: [ semvaay sembendh ]
उदाहरण वाक्य
- गुण और कर्म अपने आश्रय द्रव्य के साथ या अपने पर आश्रित सामान्य के साथ समवाय सम्बन्ध रखते हैं।
- वैशेषिकों के अनुसार सत्ता केवल द्रव्य, गुण और कर्म इन तीन में ही समवाय सम्बन्ध से रहती है।
- प्रशस्तपाद ने पृथ्वी के समान जल में भी समवाय सम्बन्ध से चौदह गुणों के पाये जाने का उल्लेख किया है।
- अस्तित्व किसी वस्तु का अपना स्वरूप है, यह सत्ता सामान्य की तरह समवाय सम्बन्ध से वस्तु में नहीं रहता।
- माधवाचार्य के अनुसार अभाव उस पदार्थ को कहते हैं, जो समवाय सम्बन्ध से रहित होकर समवाय से भिन्न हो।
- जल में गन्ध का जो आभास होता है, वह पृथ्वी के संयोग के कारण संयुक्त समवाय सम्बन्ध से होता है।
- इस अनुव्यवसाय में मन: संयुक्त आत्मा में उक्त घटविषयक सविकल्पक ज्ञान समवाय सम्बन्ध से विशेषण रूप में विषय होता है।
- सूत्रकार के अनुसार रूप और स्पर्श (उष्ण) जिसमें समवाय सम्बन्ध से रहते हैं, वह द्रव्य तेज कहलाता है।
- कणाद के अनुसार रूप, रस, गन्ध और स्पर्श ये चारों गुण जिसमें समवाय सम्बन्ध से रहते हों वह पृथ्वी है।
- विश्वनाथ पंचानन के मत में जो नित्य हो और अनेक (एक से अधिक) वस्तुओं में समवाय सम्बन्ध से रहता हो, वह सामान्य कहलाता है।