×

साठोत्तरी कविता वाक्य

उच्चारण: [ saathotetri kevitaa ]

उदाहरण वाक्य

  1. साठोत्तरी कविता में जिसे मोहभंग की कविता भी कहा गया, राजनीति और खासतौर से लोकतंत्र और समाजवाद को लेकर कविता में बहुत बोलने वाली मुहावरेबाज कविता का एक दौर आता है।
  2. साठोत्तरी कविता पर टिप्पणी करते हुए वे लिखते हैं कि साठोत्तरी कविता में व्यंग और विडम्बना का स्वर काफी प्रभावकारी है, विशेषकर धूमिल, रघुवीर सहाय और श्रीकांत वर्मा के यहाँ।
  3. साठोत्तरी कविता पर टिप्पणी करते हुए वे लिखते हैं कि साठोत्तरी कविता में व्यंग और विडम्बना का स्वर काफी प्रभावकारी है, विशेषकर धूमिल, रघुवीर सहाय और श्रीकांत वर्मा के यहाँ।
  4. एक अन्य स्टाफ ‘ कुमार ' भी आ चुके हैं, और एक बजे साठोत्तरी कविता की तरह साठ पार वाले, देश-दुनिया देख चुके, घाट-घाट का पानी पी चुके ‘ पांडे जी ' आते हैं.
  5. तार प्राप्तक, नईकविता, अकविता, साठोत्तरी कविता आदि में हम पिछली कविता से जो बदलाव पातेहैं वहअनेक स्तरों पर है छंद के बंधन तो पहले ही टूट चुके थे, भाषा तथामुहावरा, शब्द चयन और विन्यास, काव्य विषय, सब कुछ यहां बदला-बदला है.
  6. जहां काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग,नयी कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु हरिश्चंद्र युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के दो और युगों में बांटा गया।
  7. जहां काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग,नयी कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु हरिश्चंद्र युग और महावीर प्रसाद द्विवेदी युग के दो और युगों में बांटा गया।
  8. प्रगतिवादी काव्य-धारा से लेकर प्रयोगवाद, नयी कविता, साठोत्तरी कविता से जनवादी कविता तक साहित्य के अनेक आन्दोलन और प्रवृत्तियां प्रवहमान हुईं किन्तु इनमें अपनी प्रबल काव्य-चेतना के चलते वे इन सबके प्रभाव को अपनी शर्तों और अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर अलग प्रकार से स्वीकारते दिखायी देते हैं।
  9. प्रगतिवादी काव्य-धारा से लेकर प्रयोगवाद, नयी कविता, साठोत्तरी कविता से जनवादी कविता तक साहित्य के अनेक आन्दोलन और प्रवृत्तियां प्रवहमान हुईं किन्तु इनमें अपनी प्रबल काव्य-चेतना के चलते वे इन सबके प्रभाव को अपनी शर्तों और अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर अलग प्रकार से स्वीकारते दिखायी देते हैं।
  10. न तो रीतिकालीन कवियों की भाँति महेन्द्रभटनागर ने नारी को सिर्फ़ भोग्या माना है, न द्विवदीयुगीन रचनाकारों की भाँति उने सिर्फ़ आदर्श के धरातल पर ही प्रतिष्ठित किया है और न ही साठोत्तरी कविता के प्रतिनिधि रचनाकारों की तरह नारी के शारीरिक अवयवों को ही कविता का वर्ण्य-विषय माना है।
अधिक:   पिछला  आगे


के आस-पास के शब्द

  1. साठ का दशक
  2. साठ के ऊपर
  3. साठ फीसदी
  4. साठवाँ
  5. साठा
  6. साठोत्तरी पीढ़ी
  7. साठोत्तरी हिन्दी कविता
  8. साड़ी
  9. साडू
  10. साढ़ू
PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.