साठोत्तरी पीढ़ी वाक्य
उच्चारण: [ saathotetri pidhei ]
उदाहरण वाक्य
- विजयमोहन सिंह और रवींद्र कालिया जिस ‘ साठोत्तरी पीढ़ी ' के हैं, उस पीढ़ी का शायद ही कोई कहानीकार आज स्वयं को ‘
- साठोत्तरी पीढ़ी के कुछ कहानीकारों ने जिस स्त्री-विरोधी, अराजक भाषा की ईजाद की, उस भाषा में न कोई मूल्यांकन संभव है और न विमर्श।
- साठोत्तरी पीढ़ी ” के रचनाकारों के अन्दर कुछ नयी बातें जैसे परिवार का टूटना, अलगाव, आत्मिक विखराव इसी का संकेत देती हैं।
- साठोत्तरी पीढ़ी के कुछ कहानीकारों ने जिस स्त्री विरोधी अराजक भाषा ईजाद की, उस भाषा में न कोई मूल्यांकन सम्भव है और न विमर्श।
- साठोत्तरी पीढ़ी के कुछ कहानीकारों ने जो स्त्री विरोधी अराजक भाषा ईजाद की, उस भाषा में न कोई मूल्यांकन संभव है और न विमर्श।
- स्वातंत्र्योत्तर हिंदी साहित्य का इतिहास साठोत्तरी पीढ़ी से शुरू होता है और यह परिवर्तन उससे पहले के साहित्य तथा साहित्यकारों को नकार कर या उनकी तिरस्कारपूर्वक उपेक्षा कर होता है।
- हिंदी कहानी पर बात करते हुए हम आज दावे के साथ कह सकते हैं कि साठोत्तरी पीढ़ी से लेकर बाद की कई पीढियां एक साथ सृजनरत हैं, जिनमें एकदम युवतर चेहरे भी हैं।
- न तो वे द्विवेदीयुगीन कवियों की भाँति सिर्फ़ कविता को उपदेश का माध्यम बनाना चाहते हैं और न ही शमशेर, नकेनपंथियों, एज़रा पाउण्ड तथा साठोत्तरी पीढ़ी के रचनाकारों की भाँति सिर्फ़ शिल्प-वैचित्र्य को ही मान्यता देते हैं।
- न तो वे द्विवेदीयुगीन कवियों की भाँति सिर्फ़ कविता को उपदेश का माध्यम बनाना चाहते हैं और न ही शमशेर, नकेनपंथियों, एज़रा पाउण्ड तथा साठोत्तरी पीढ़ी के रचनाकारों की भाँति सिर्फ़ शिल्प-वैचित्र्य को ही मान्यता देते हैं।
- नयी कहानी में गढ़ाव का मोह, चटपटी घटनाओं की भरमार और सनसनीखेज क्लाइमेक्स की जिद के साथ नाटकीय भूमिका लेखन, आत्म वक्तव्य और आत्मस्वीकृति का तामझाम न होता तो साठोत्तरी पीढ़ी के लिए कहानी विधा का सततीकरण ज्यादा ग्राह्य और स्वीकार्य होता।