साधु भाषा वाक्य
उच्चारण: [ saadhu bhaasaa ]
उदाहरण वाक्य
- ये समझाते बड़ी ही सहज सरल साधु भाषा में केवल यह एक ही बात की-
- कोई दलील कैसी ही झूठी और बे सिर पैर की क्यों न हो यदि उसी को साधु भाषा
- यद्यपि उनकी प्रवृत्ति हास्यविनोद की ओर ही अधिक रहती थी, पर जब कभी कुछ गंभीर विषयों पर वे लिखते थे तब संयत और साधु भाषा का व्यवहार करते थे।
- देखिए कानून में कोई दलील कैसी ही झूठी और बे सिर पैर की क्यों न हो यदि उसी को साधु भाषा में नमक मिर्च लगाकर कहिए तो उसका सब अवगुण छिप जाता है।
- हम निश्चित करना चाहते हैं कि जिनके समवाय को हम शुद्ध हिन्दी भाषा, और संस्कृत शब्दों का मेल होने पर जिस समवाय को हम साधु भाषा कहते हैं, वह कौन से शब्द हैं।
- जैसे बोलियों के उन शब्दों को एकत्रा करना जो खड़ी बोली में नहीं बोले जाते, प्रयुक्त होने पर साधु भाषा को समृद्ध कर सकते हैं, और अहिन्दी भाषियों के लिए हिन्दी सीखने के लिए प्रारम्भिक पोथी।
- हिंदी में ‘ मानक भाषा ' के अर्थ में पहले ‘ साधु भाषा ', ‘ टकसाली भाषा ', ‘ शुद्ध भाषा ', ‘ आदर्श भाषा ' तथा ‘ परिनिष्ठित भाषा ' आदि का प्रयोग होता था।
- उनकी दृष्टि में वर्त्तमान हिन्दी ' साधु भाषा ' थी. मेरी दृष्टि में जिस समय भारतेंदु जी ने कहा “ निज ' भाषा ' उन्नति अहै सब उन्नति कौ मूल ” उनका अभिप्राय अवधी और ब्रज भाषाओं से था.
- अतएव यहाँ हमको यह मानना पड़ेगा कि जिन शुद्ध हिन्दी शब्दों के समवाय को हम हिन्दी भाषा कहते हैं-जिन समवाय में संस्कृत शब्दों का प्रयोग होने पर साधु भाषा बनती है, वे सब शब्द अब, घर, देस, बरसात, प्यार, एक संग इत्यादि के समान जन-साधारण में प्रचलित शब्द-समूह हैं, और इन शब्दों में यदि किसी प्रान्त-विशेष का कोई शब्द भाषा पथप्रदर्शक लेखकों द्वारा परिगृहीत हुआ है तो वह ब्रजभाषा है-और यही हम को सिद्ध करना था।