सौरपुराण वाक्य
उच्चारण: [ saurepuraan ]
उदाहरण वाक्य
- सौरपुराण की गिनती उपपुराणों में होती है, सूतसंहिता में (सन् 14 सौ के पूर्व) स्थित क्रम के अनुसार यह सोलहवाँ उपपुराण है।
- सौरपुराण की गिनती उपपुराणों में होती है, सूतसंहिता में (सन् 14 सौ के पूर्व) स्थित क्रम के अनुसार यह सोलहवाँ उपपुराण है।
- सौरपुराण नाम से इसमें सूर्य का ज्ञान विज्ञान होगा, ऐसा भ्रम होता है परंतु यह एक शिवविषयक उपपुराण है, केवल सूर्य ने मन से कहा है।
- सौरपुराण नाम से इसमें सूर्य का ज्ञान विज्ञान होगा, ऐसा भ्रम होता है परंतु यह एक शिवविषयक उपपुराण है, केवल सूर्य ने मन से कहा है।
- सौरपुराण भी इस विषय में कहता है कि भगवान् विश्वनाथ का दर्शन करके लांगलीश का दर्शन करना चाहिए जहाँ पर बह्मादि देवता शूलपाणि की सेवा करते हैं-
- अत: सौरपुराण के साथ उनको एकरूप कहना गलत है, कदाचित् ये उपपुराण होने पर भी संप्रति उपलब्ध नहीं है, एवं प्राचीन प्रामाणिक ग्रंथों में इनका उल्लेख नहीं है।
- अत: सौरपुराण के साथ उनको एकरूप कहना गलत है, कदाचित् ये उपपुराण होने पर भी संप्रति उपलब्ध नहीं है, एवं प्राचीन प्रामाणिक ग्रंथों में इनका उल्लेख नहीं है।
- इस पुराण में अध्याय 69 तथा श्लोक संख्या 3, 799 है, सौरपुराण अपने को ब्रह्मांडपुराण का “खिल” अर्थात् उपपुराण कहता है एवं सनत्कुमारसंहिता और सौरीसंहिता रूप दो भेदों से युक्त मानता है (9* 13-14)।
- इस पुराण में अध्याय 69 तथा श्लोक संख्या 3, 799 है, सौरपुराण अपने को ब्रह्मांडपुराण का “खिल” अर्थात् उपपुराण कहता है एवं सनत्कुमारसंहिता और सौरीसंहिता रूप दो भेदों से युक्त मानता है (9* 13-14)।
- इस पुराण का प्रारंभ इस प्रकार है-सूर्यपुत्र मनु कामिका वन में यज्ञ करनेवाले प्रतर्दन राजा के यज्ञ में गया, वहाँ तत्व का विचार करनेवाले परंतु निर्णय करने में असमर्थ ऋषियों के साथ आकाशवाणी द्वारा प्रवृत्त होकर सूर्य के द्वादशादित्य नामक स्थान में जाकर सूर्यदर्शन के निमित्त तप करने लगा, हजार वर्षों के अनंतर सूर्य ने दर्शन दिए और सौरपुराण सुनाया (1, 19-45)।