हंबली वाक्य
उच्चारण: [ henbeli ]
उदाहरण वाक्य
- उनको हंबली न्यायाधीश की ओर से भी डांट फटकार लगाई गयी किन्तु हंबली न्यायधीश का क्रियाकलाप दमिश्क़ के शाफ़ई और मालेकी न्यायधीशों और धर्मशास्त्रियों के कड़े विरोध का कारण बना।
- “ इस्तिहाज़ा वाली औरत और इसके समान लोगों के लिए हंबली मत के सही कथन के अनुसार मोज़े पर मसह करना जाइज़ है, इमाम अहमद ने इसको स्पष्टता के साथ वर्णन किया है।
- तथा इस बात पर हंबली मत के धर्म शास्त्रियों का स्पष्ट कथन है कि उसका सवाब (पुण्य) मृतक को पहुँचता है और वह इससे लाभ उठाता है, उन्हों ने इस मुद्दे को मृतक की ओर से सद्क़ा करने के मुद्दे पर क़ियास किया है।
- वरिष्ठ नेता इस परिवर्तन के संदर्भ में कहते हैं कि आज इस्लामी जगत में इस्लामी आंदोलन में शीआ व सुन्नी का कोई अंतर नहीं है, शाफ़ई, हनफ़ी, जाफ़री, मालेकी, हंबली और जै़दी में कोई अंतर नहीं है अरबों और फार्सों तथा अन्य जातियों में कोई अंतर नहीं है।
- उदाहरण के तौर पर, मेरे देश में मुसलमानों को सिखाया जाता है कि हज्ज के दौरान वुज़ू की नीयत शाफई मत से हंबली मत में परिवर्तित हो जाती है, और वे उसी तरह वुज़ू करते हैं जिस तरह हंबली मत के पैरोकार करते हैं, और उसका कारण वही है जो पूर्व उदाहरण में वर्णित है।
- उदाहरण के तौर पर, मेरे देश में मुसलमानों को सिखाया जाता है कि हज्ज के दौरान वुज़ू की नीयत शाफई मत से हंबली मत में परिवर्तित हो जाती है, और वे उसी तरह वुज़ू करते हैं जिस तरह हंबली मत के पैरोकार करते हैं, और उसका कारण वही है जो पूर्व उदाहरण में वर्णित है।
- अहमदिया समुदाय अब्दुल-वहाब के काफी बाद उन्नीसवीं सदी में आया लेकिन शिया, हनफी, मुलायिकी, सफई, जाफरिया, बाकरिया, बशरिया, खुलफिया हंबली, जाहिरी, अशरी, मुन्तजिली, मुर्जिया, मतरुदी, इस्माइली, बोहरा जैसी अनेक आस्थाओं ने इस्लाम के अंदर रहते हुए अपनी अलग पहचान बना ली थी और उनकी पहचान को इस्लामी दायरे में स्वीकृति बाकायदा बनी हुई थी।
- इब्ने मुफलिह हंबली अपनी किताब “ अल-फुरूअ ” में उन दलीलों (प्रमाणों) का उल्लेख किया है जिन से शहद में ज़कात को अनिवार्य कहने वालों न दलील पकड़ी है, और उन पर ऐसा वार्तालाप किया है जिस से उन दलीलों की कमज़ोरी का पता चलता है, फिर कहते हैं: ” जो व्यक्ति इस में और इस के अलावा में विचार करे गा उस के लिए इस मस्अला की कमज़ोरी स्पष्ट हो जाये गी।