अखा भगत वाक्य
उच्चारण: [ akhaa bhegat ]
उदाहरण वाक्य
- अखा भगत · मनीराम मिश्र · बनवारी · सबलसिंह चौहान · वृंद · छत्रसिंह · बैताल · आलम · गुरु गोविंदसिंह · श्रीधर ·
- दास · रसिक गोविंद · अखा भगत · मनीराम मिश्र · बनवारी · सबलसिंह चौहान · वृंद · छत्रसिंह · बैताल · आलम · गुरु
- गोविंद · अखा भगत · मनीराम मिश्र · बनवारी · सबलसिंह चौहान · वृंद · छत्रसिंह · बैताल · आलम · गुरु गोविंदसिंह · श्रीधर ·
- ' अखा भगत ने (सत्रहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध गुजराती कवि) कोई पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त नहीं की थी, लेकिन उन्होंने ही कहा कि 'अस्पृश्यता अतिरिक्त अंग है।'-गांधीजी[2]
- दूसरे दिन अखा भगत किराये पर कोट, पगड़ी, मोजड़ी, छड़ी, आदि धारण करके शरीर को सजाकर महंत के पास गये और प्रणाम करके जेब से सुवर्ण-मुद्रा निकालकर रख दी।
- दत्तात्रेय भगवान हों, शंकराचार्य भगवान हों, शुकदेव जी मुनि हों, जनक राजा हों, ज्ञानेश्वर महाराज हों, अखा भगत हों, संत तुकाराम हों, संत एकनाथ हों, जो संसार से पार हैं उन सब महापुरूषों को हम लोग बड़े प्यार से अपने हृदय में स्थापित करते हैं, उनके ज्ञान को अपने हृदय में धारण करते हैं।
- उन्होंने बहुत अच्छी बात कही-“गीताजी के किसी श्लोक का अर्थ ऐसा है, यह मैं नहीं कहे सकता, क्योंकि गीताजी का ज्ञान तो बहुत गहन है, सिर्फ मैं ऐसा समझा हूं, ऐसा कह सकता हूं ।” के गहन ज्ञान के बारे में ऐसा कहेते हों तो, हम जैसे आम आदमी की तो बात ही क्या? हमारी हालात के बारे में गुजरात के सुप्रसिध्ध कवि श्री अखा भगत ने बहुत सुंदर वर्णन किया है ।