अनुष्टुप् वाक्य
उच्चारण: [ anusetup ]
उदाहरण वाक्य
- पराशराय ऋषये नमः इति शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः इति मुखे, गोपालकृष्णदेवतायै नमः, इति हृदये, श्रीकृष्णाय बीजाय नमः इति गुह्यो, श्रीवल्लभाय शक्तयै नमः इति पादयोः, शांर्गधराय कीलकाय नमः इति सर्वांगे॥
- कवि ने अपनी रचना में वैदर्भी-रीति तथा अनुष्टुप् छन्द का ही आश्रय लिया है, किन्तु कहीं-कहीं पांचाली और गौड़ीरीति तथा बीच-बीच में वसन्ततिलका, शार्दूलविक्रीडित, हरिणी आदि बड़े छन्दों का भी प्रयोग दिखलाई पड़ता है।
- संपूर्ण गौतमधर्मसूत्र गद्य में है, यद्यपि कुछ सूत्र वत्तगंधिशैली में लिखे गए हैं और अनुष्टुप् के अंश प्रतीत होते हैं, अन्य धर्मसूत्रों की अपेक्षा इसकी भाषा पाणिनीय व्याकरण की अधिक अनुयायिनी है, किंतु यह संस्कार भी बाद का प्रतीत होता है।
- संपूर्ण गौतमधर्मसूत्र गद्य में है, यद्यपि कुछ सूत्र वत्तगंधिशैली में लिखे गए हैं और अनुष्टुप् के अंश प्रतीत होते हैं, अन्य धर्मसूत्रों की अपेक्षा इसकी भाषा पाणिनीय व्याकरण की अधिक अनुयायिनी है, किंतु यह संस्कार भी बाद का प्रतीत होता है।
- संपूर्ण गौतमधर्मसूत्र गद्य में है, यद्यपि कुछ सूत्र वत्तगंधिशैली में लिखे गए हैं और अनुष्टुप् के अंश प्रतीत होते हैं, अन्य धर्मसूत्रों की अपेक्षा इसकी भाषा पाणिनीय व्याकरण की अधिक अनुयायिनी है, किंतु यह संस्कार भी बाद का प्रतीत होता है।
- चारित्रभक्ति-चातित्रभक्ति-दश अनुष्टुप्, पद्यों में श्री वर्धमान प्रणीत, सामायिक, छेदोपस्थापना, परिहारविशुद्धि, सूक्ष्मसाम्पराय और यथाख्यातनाम के पांच चारित्रओं, अहिंसादि २ ८ मूलगुणों, दशधर्मों, त्रिगुप्तियों, सकल्शीलों, परिषह्जय और उत्तरगुणों का उल्लेख करके उन्की सिद्धि और सिद्धिफल (मुक्ति सुख) की कामना की है।