अनोखी रात वाक्य
उच्चारण: [ anokhi raat ]
उदाहरण वाक्य
- अधिकतर गीत शहनाई पर ही ज्यादा अच्छे लगे लेकिन अनोखी रात फ़िल्म का विदाई गीत-महलों का राजा मिला के रानी बेटी राज करेगीशहनाई पर अच्छा नहीं लगा।
- गीत बहुत अच्छे सुनवाए जो विविध भारती से आजकल कम ही सुने जाते है-एक बार मुस्कुरा दो, अनोखी रात और ख़ासकर अमानुष का यह गीत-
- फ़ि ल्म ' अनोखी रात ' का मशहूर गीत “ ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में ” संगीतकार रोशन के संगीत से सजा आख़री गीत था।
- लीक से हट कर सिनेमा दस्तक और लीक से हट कर अभिनय पति पत्नी और वो की चर्चा हुई, गीत भी सुना-ठन्डेठंडे पानी से नहाना चाहिएअन्य लोकप्रिय गीत भी सुनवाए गए मौसम, अनोखी रात फिल्मो से।
- मुकेश और साथियों की आवाज़ों में यह गीत है फ़िल्म ' अनोखी रात ' का-“ ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, सागर मिले कौन से जल में कोई जाने ना ”.
- इसके बाद आशीर्वाद, राजा और रंक, सत्याकाम और अनोखी रात जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
- इसके बाद आशीर्वाद, राजा और रंक, सत्यकाम और अनोखी रात जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए संजीव कुमार दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुँच गए जहाँ वे फिल्म में अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।
- पहला गीत अच्छा लगा-तेरे फूलों से भी प्यार तेरे काँटों से भी प्यारउसके बाद गाइड का गीत सुना पर अंत में अनोखी रात का यह गीत विषय के साथ नहीं जँचा-मेरी बेरी के बेर मत तोड़ों कोई काँटा चुभ जाएगाशुरू से आलेख की जो ऊँचाई बनती आई थी वो अंत में गिर गई।
- मुम्बई की बरसात मैंने भी देखी है मैं “ कांदीवली ” में काफी समय रही हूँ अभी भी मेरा घर है वहाँ “ पंडित आनंद कुमार '... ” बेगम का तकिया ” लिखने वाले मेरे दादा जी थे.... ' अनोखी रात ' की पटकथा और डायलोग के लियें राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला था उन्हें...
- अगले साल सन 1968 में आई किषोर कुमार की पड़ोसन के इक चतुर नार तथा मेरे भोले बलम गीतों में लोकांचल की छाप स्पष्ट है, सरस्वती चंद्र के मैं तो भूल चली बाबुल का देस 1969 की फिल्म अनोखी रात मे ओह रे ताल मिले नदी के जल में, किस्मत फिल्म का कजरा मोहब्बत वाला जैसे अमर गीत हिन्दी सिनेमा में लोक गीतों के प्रभाव के स्पष्ट गवाह हैं।