अष्टांगयोग वाक्य
उच्चारण: [ asetaanegayoga ]
उदाहरण वाक्य
- महर्षि पतंजलि के अष्टांगयोग में इसे प्रत्याहार कहा जाता है (सुरक्षित गोस्वामी, नवभारत टाइम्स, दिल्ली,10.6.12) ।
- उन्होंने विद्या प्राप्त किए ही शास्त्र अध्ययन यम नियम, आसन, प्राणायाम व अष्टांगयोग साधना में महारथ हासिल की और साधना को सिद्ध भी किया।
- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के आठ अंगों से युक्त अष्टांगयोग योग का सर्वजन सुलभ मार्ग है।
- चौबीस अक्षर के भीतर चौबीस योग हैं और प्रत्येक आठ-आठ अक्षर गायत्री मंत्र में इस प्रकार से हैं, जो तीनों शरीरों की साधना के लिए अष्टांगयोग हैं।
- पातंजलि योग अष्टांगयोग नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि पतंजलि ने योग के यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्यहार, धारणा, ध्यान और समाधि ये आठ अंग बताए हैं।
- इसमें महर्षि पतंजलिकृत अष्टांगयोग के संक्षिप्त विवरण के साथ सामान्य साधना में सहयोगी आसन, प्राणायाम, बन्ध, मुद्रा आदि के अतिरिक्त युगऋषि द्वारा निर्देशित पंचकोशीय ध्यान धारणा का भी संक्षिप्त विवेचन दे दिया गया है।
- साधना पादमें क्रियायोग के स्वरूप और फल का निरूपण, विवेक ज्ञान की प्राप्ति केलिए अष्टांगयोग के अनुष्ठान की आव-~ श्यकता, आठों अंगों के नाम तथा उनमेंसे पाँच बाह्रा अंगों के लक्षण और विभिन्न फलों का वर्णन तथा धारणा, ध्यान एवं समाधि आदि अंगों का प्रतिपादन है.
- इस अभ्यास को यदि पांच-दस मिनट के लिए रोज़ किया जाए तो हम अपने अशांत, चिडचिडे, भागते, व परेशान मन को शांत कर सकते है, ये अभ्यास अध्यात्म की ओर ले जाने में बड़ा लाभकारी है, महर्षि पतंजलि के अष्टांगयोग में इसे प्रत्याहार कहा जाता है!
- क्योंकि अष्टांगयोग एक सम्पूर्ण विधा और ब्रहम विद्द्या है, आप अकेले लोम-विलोम या शारीरिक आसनों को योग बताकर भारत के सम्पूर्ण योग शाश्त्रों का मखौल उड़ा रहे हैं अस्तु आप न तो योगी हैं और न स्वामी, आप केवल नट-विद्द्या और शाब्दिक राष्ट्रवादी लफ्फाजी में सिद्धहस्त हैं.