आह्निक वाक्य
उच्चारण: [ aahenik ]
उदाहरण वाक्य
- प्रथम दिन तुलादान करनेवाला व्यक्ति और उस अनुष्ठान को संपादित करानेवाले विद्वान् लोग दूसरे दिन उपवास और नियमपालन करने का संकल्प करते हैं दूसरे दिन प्रात: काल उठकर अपने आवश्यक दैहिक कृत्य से निवृत्त होकर स्नान और दैनिक आह्निक से छुट्टी पाकर अनुष्ठानमंडप के निकट उपस्थित होते हैं।
- इस प्रकार वाक्यपदीय के तीन कांड और महाभाष्य टीका ' दीपिका ', उसका अंशमात्र-सात आह्निक ही वर्तमान में उपलब्ध और प्रकाशित हैं, इन दोनों ग्रंथों के लेखक वैयाकरण भर्तृहरि हैं तथा वाक्यपदीय की स्वोपज्ञ टीका का कर्ता भी वही भर्तृहरि है, ऐसी विद्वानों की मान्यता है।
- टीकाकार का कहना है कि यदि इस प्रकार अर्थ न किया जायेगा तो आगे तत्-तत् स्थलों में जो दशरथ सभा के उत्थान का वर्णन, आह्निक कर्मानुष्ठान वर्णन, रात्रि में राम आदि के साथ श्रुत अर्थ के चिन्तन का वर्णन, एवं प्रातः सूर्योदय आदि का वर्णन किया गया है, वह असंगत हो जायेगा।
- कुछ ऐसे कर्म हैं जो अधिमास एवं शुद्ध मास, दोनों में किए जा सकते हैं, यथा गर्भ का कृत्य (पुंसवन जैसे संस्कार), ब्याज लेना, पारिश्रमिक देना, मास-श्राद्ध (अमावस्या पर), आह्निक दान, अन्त्येष्टि क्रिया, नव-श्राद्ध, मघा नक्षत्र की त्रयोदशी पर श्राद्ध, सोलह श्राद्ध, चान्द्र एवं सौर ग्रहणों पर स्नान, नित्य एवं नैमित्तिक कृत्य [15] ।
- वैखानस ने नेटवर्क शरीर संस्कारों के नाम गिनाये हैं (जिनमें उत्थान, प्रवासागमन, पिण्डवर्धन भी सम्मिलित हैं, जिन्हें कहीं भी संस्कारों की कोटि में नहीं गिना गया है) तथा 22 यज्ञों का वर्णन किया है (पंच आह्निक यज्ञ, सात पाकयज्ञ, सात हविर्यज्ञ एवं सात सोमयज्ञ ; यहाँ पंच आह्निक यज्ञों को एक ही माना गया है, अत: कुल मिलाकर 22 यज्ञ हुए) ।
- वैखानस ने नेटवर्क शरीर संस्कारों के नाम गिनाये हैं (जिनमें उत्थान, प्रवासागमन, पिण्डवर्धन भी सम्मिलित हैं, जिन्हें कहीं भी संस्कारों की कोटि में नहीं गिना गया है) तथा 22 यज्ञों का वर्णन किया है (पंच आह्निक यज्ञ, सात पाकयज्ञ, सात हविर्यज्ञ एवं सात सोमयज्ञ ; यहाँ पंच आह्निक यज्ञों को एक ही माना गया है, अत: कुल मिलाकर 22 यज्ञ हुए) ।