इन्द्रभूति वाक्य
उच्चारण: [ inedrebhuti ]
उदाहरण वाक्य
- जैन धर्म के अनुसार यह मान्यता है कि 24 वें तीर्थकर वर्धमान महावीर ने ‘ कैवल्य ' की प्राप्ति के उपरान्त इसी दिन इन्द्रभूति गौतम को अपना प्रथम शिष्य बनाया तथा स्वयं गुरु कहलाए।
- ज्ञान पूर्ण अर्थात केवलज्ञानी भगवान महावीर इन्द्रभूति जैसे अपूर्व शिष्य को पाकर, सावन की प्रतिपदा के दिन राजगृही के विपुलाचल पर्वत से अपनी प्रथम दिव्य देशना हुई, और महीनों से प्यासे भव्यों को तृप्त किया, सभी को आत्म-कल्याण का दिग्दर्शन कराया।
- (नालन्दा के कूण्डलपुर में अवतरित होल इन्द्रभूति गौतम गोत्र के ब्राह्मण हलन, इ कारण इनका इन्द्रभूति गौतम कहल गेल हे जे आरंभ काल से ही उच्च कोटि के सादक हलन आउ जिनकर साधना में महावीर स्वामी के साथ मिले से खूबे निजार आयल ।)
- (नालन्दा के कूण्डलपुर में अवतरित होल इन्द्रभूति गौतम गोत्र के ब्राह्मण हलन, इ कारण इनका इन्द्रभूति गौतम कहल गेल हे जे आरंभ काल से ही उच्च कोटि के सादक हलन आउ जिनकर साधना में महावीर स्वामी के साथ मिले से खूबे निजार आयल ।)
- चौदस-अमावस शामिल होने पर भी ध्यान रखें कि पहले मंदिर में वीर निर्वाण संबंधी अभिषेक पूजन-लाडू चढ़ाने के बाद ही गोधूलि बेला यानी शाम को घर में दिन रहते द्रव्य पूजन करें, क्योंकि भगवान महावीर के मोक्ष कल्याणक के बाद ही गणधर इन्द्रभूति गौतम स्वामी को केवल ज्ञान हुआ था।
- आस्तिक दर्शनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कपिल, कणाद, पतंजलि, गौतम, कुमारिल, उद्योतकर एवं उदयनाचार्य जैसे विद्वानों का संबंध बिहार से उसी प्रकार है, जिस प्रकार बौद्धाचार्यों यथा दिग्नाग, असंग, दीपंकर, पद्मसंभव, राहुल भद्र एवं जैनाचार्य यथा इन्द्रभूति गौतम, मद्रवाहू, स्थूलभद्र आदि का है।
- उपनिषत् में जो यह उपदेश गौतम को नाम लेकर सुनाया गया है, वह हमें जैनधर्म के अन्तिम तीर्थंकर महावीर के उन उपदेशों का स्मरण कराये विना नहीं रहता, जो उन्होंने अपने प्रधान शिष्य इन्द्रभूति गौतम को गौतम नाम से ही संबोधन करके सुनाये थे, और जिन्हें उन्हीं गौतम ने बारह अंगों में निबद्ध किया, जो प्राचीनतम जैन साहित्य है और द्वादशांग आगम या जैन श्रुतांग के नाम से प्रचलित हुआ पाया जाता है।