ईशावास्योपनिषद वाक्य
उच्चारण: [ eeshaavaaseyopenised ]
उदाहरण वाक्य
- दूसरी पंक्ति की व्याख्या:-हम पाप तभी करते हैं जब ये समझते हैं कि हमें कोई नही देख रहा किंतु ईशावास्योपनिषद का वचन कितना सार्थक है:-ओउम ईशावास्योपनिषद सर्व यत्किंचजगत्वां जगत।
- दूसरी पंक्ति की व्याख्या:-हम पाप तभी करते हैं जब ये समझते हैं कि हमें कोई नही देख रहा किंतु ईशावास्योपनिषद का वचन कितना सार्थक है:-ओउम ईशावास्योपनिषद सर्व यत्किंचजगत्वां जगत।
- मित्रों, हम (दरअसल अब मेरा स्वतंत्र अस्तित्व विगलित हो चुका है और मैं हम हो गया है) ईशावास्योपनिषद के अनुसार पूर्ण ब्रह्म भले ही न हो पाए हों हम पूर्णरूपेण एकाकार जरूर हो गए हैं.
- ईशावास्योपनिषद पर गुजराती लेखक उमा शंकर जोशी की यह व्याख्या गांधी के उस मानस को समझने में मद्द गार है जिसमें सम्पूर्ण जीव जगत ही नहीं बल्कि तमाम उपभोग की वस्तुओं से भी गांधी के लगाव और दूरियों को समझा जा सकता है।
- ईशावास्योपनिषद का यह मन्त्र यह कहता है कि जो उस सम्भूति अर्थात अव्यक्त प्रकृति की वन्दना मे रत है, जो दृश्य मान विकृति अर्थात जगत के मूलकारण प्रकृति मे लीन है, वे अन्धकार मे प्रवेश करते है अव्यक्त प्रकृति का सरलतम उदाहरण है इन्द्रियां।
- आत्मा ही जीवन को जन्म देती है| ' इदं भस्मान्तं शरीरं'-ईशावास्योपनिषद में लिखा है|अर्थात यह शरीर नश्वर है, हम सब यह तो जानते ही हैं कि आत्मा जिस क्षण शरीर का परित्याग करती है उसी क्षण शरीर की मृत्यु हो जाती है|अतः स्पष्ट है कि जीवन को जन्म देती है यही आत्मा| आत्मा जो अविनाशी है, शाश्वत है वही जीवन की ज्योति प्रज्ज्वलित करती है|