उणादि वाक्य
उच्चारण: [ unaadi ]
उदाहरण वाक्य
- तीर्थ शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा के ' तृ-प्लवनतरणयोः ' धातु से 'पातृतुदिवचिरिचिसिचिभ्यस्थक्' इस उणादि सूत्र से 'थक् ' प्रत्यय होने पर होती है।
- तभी उन्होंने इस प्रकार के शब्दों के वर्ग किए हैं और उनको मान्यता दी है, जैसे संज्ञाप्रमाण अर्थात् लोकव्यवहार में प्रचलन,यथोपदिष्ट और उणादि आदि।
- इसमें सन्धि, सुबन्त, कृदन्त, उणादि, आख्यात, निपात, उपसंख्यान, स्वरविधि, शिक्षा और तद्धित आदि विषयों का विचार है ।
- तीर्थ शब्द की उत्पति संस्कृत भाषा के ' तृ-प्लवनतरणयोः ' धातु से ' पातृतुदिवचिरिचिसिचिभ्यस्थक् ' इस उणादि सूत्र से ' थक् ' प्रत्यय होने पर होती है।
- यहां उणादि एण्य प्रत्यय है-वृ ' एण्यः (3,98). इस सूत्र के अनुसार वृ धातु से एण्य प्रत्यय लगाने पर ‘ वरेण्य ‘ शब्द निष्पन्न होता है।
- कृ-वा-पा-जिमि-स्वाद-साध्यशूभ्यं उण्-इस प्रत्यय के आदिम होने के कारण यह समस्त प्रत्यय-समुच्चय उणादि के नाम से प्रख्यात है।
- कालांतर में उणादि नियमों के प्रयोग में सावधानी न रखने के कारण यह केवल वैयाकरणों को तोष देनेवाला ही हो सका जिससे इसकी उपयोगिता अपने समग्र रूप में सुव्यक्त न हो सकी।
- अर्थात् जो संज्ञा सामने आए उसमें पहले कौन सी धातु हो सकती है इसे खोजे, तदनंतर प्रत्यय की खोज करे, फिर जो ह्रस्वत्व दीर्घत्व आदि विकार हुआ है उसके विचार से अनुबंध लगा ले-यह उणादि का शास्त्र है।