और भी ग़म हैं ज़माने में वाक्य
उच्चारण: [ aur bhi gaem hain jaan men ]
उदाहरण वाक्य
- हाँ यह वर्ग हमेशा भूल जाता है कि और भी ग़म हैं ज़माने में …
- जनसत्ता के माहौल को ब्राह्मणवादी क्यों बताया जा रहा है? और भी ग़म हैं ज़माने में..
- और भी ग़म हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा, राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा।
- और भी ग़म हैं ज़माने में-यह फैज़ अहमद फैज़ के एक शेर का हिस्सा है, पूरा शेर है:
- उन्हींम के लिए फै़ज ने लिखा था-‘ और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्ब त के सिवा ' ।
- आपको भी और मुझे भी बक़ौल शायर ' और भी ग़म हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा' इसलिए अब इजाज़त दीजिए 'फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया'।
- अब यहां कलावादी उचककर सवाल करते हैं लेकिन हर चीज़ आकर भूख पर ही क् यों टिक जाती है और भी ग़म हैं ज़माने में भूख के सिवाय
- आपको भी और मुझे भी बक़ौल शायर ' और भी ग़म हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा ' इसलिए अब इजाज़त दीजिए ' फिर मिलेंगे अगर खुदा लाया ' ।
- ऐसा लगता है कि फ़ैज़ अहमद ' फ़ैज़ ' की मशहूरे-ज़माना काव्य पँक्ति-' और भी ग़म हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा '-ने ' द्विज ' की काव्य यात्रा का मार्ग प्रशस्त किया है।
- और भी ग़म हैं ज़माने में, ब्लागिंग के सिवा! ऎसा नहीं है कि लालित्य मुझे लउकता ही नहीं, यत्र तत्र सर्वत्र ‘जित देखूँ तित लाल', किंतु सुंदरता के साथ कुरूपता, अच्छाई-बुराई, स्याह-सफ़ेद इत्यादि नितांत तुलनात्मक अवधारणायें हैं एवं एक दूसरे के पूरक भी! बगैर स्याह के सफ़ेद परिभाषित ही नहीं हो सकता ।