करोंदा वाक्य
उच्चारण: [ keronedaa ]
उदाहरण वाक्य
- इस विधि द्वारा सामान्यत: घासों (नेपीयर, धोलू, भांभर या झाड़ियों जैसे करोंदा, फालसा, इत्यादि) की कुछ पंक्तियों समोच्च बंधो पर या उनके ठीक नीचे ऊगाई जाती है।
- यहां की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का दूसरा बड़ा स्रोत वनों से प्राप्त उपज है-जिसमें जलाऊ और इमारती लकड़ी (सागवान), गोंद, सफ़ेद मूसली, कत्था, महुआ, कोयला, शहद, करोंदा, टिमरु, तेंदू-पत्ता वगैरह हैं.
- खासकर पैत्तिक दस्तों के लिये तो अत्यन्त ही लाभदायक चीज है कच्चे करोंदा भूख को बढ़ाते है, भारी होते है, मल को रोकते है और रूची को उत्पन्न करते है और पके हुए हल्के, रीगल, पित्त, रक्त, पित्त त्रिदोष और विष तथा वात विनाशक है।
- गुरुवार की दोपहर करीब 3. 15 बजे 16-17 की संख्या में गांवों के लोग एकत्र होकर सिर पर घमरा की पोटलियां लेकर करोंदा स्टेशन के पास लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी के नीचे से निकलकर करोंदा स्टेशन से झांसी जाने वाली पैसेंजर में चढने की कोशिश कर रहे थे।
- गुरुवार की दोपहर करीब 3. 15 बजे 16-17 की संख्या में गांवों के लोग एकत्र होकर सिर पर घमरा की पोटलियां लेकर करोंदा स्टेशन के पास लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी के नीचे से निकलकर करोंदा स्टेशन से झांसी जाने वाली पैसेंजर में चढने की कोशिश कर रहे थे।
- गुरुवार की दोपहर 3. 15 के आसपास 16-17 की संख्या में गांवों के लोग एकत्र होकर सिर पर घमरा की पोटलियां लेकर करोंदा स्टेशन के पास लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी के नीचे से निकलकर करोंदा स्टेशन से झांसी जाने वाली पैसेंजर में चढने की कोशिश कर रहे थे।
- गुरुवार की दोपहर 3. 15 के आसपास 16-17 की संख्या में गांवों के लोग एकत्र होकर सिर पर घमरा की पोटलियां लेकर करोंदा स्टेशन के पास लूप लाइन में खड़ी मालगाड़ी के नीचे से निकलकर करोंदा स्टेशन से झांसी जाने वाली पैसेंजर में चढने की कोशिश कर रहे थे।
- ७ सूरदास ने श्री कृष्ण के भोजन सम्बधी एक बड़े पद में विविध काध पदार्थों के साथ भटा (बैंगन) चना, चौराई, सोवा, सरसों, बथुआ, परबल, टेंटी, ढ़ेंढ़स, कुनस, ककोरा, कचरी, चीचड़ा, करेला, सहजना, करील, पाकर, अगस्त की फली, अरबी, इमली, पेठा, खीरा, रामतरोई, रतालू, ककड़ी, कचनार, केला, करोंदा आदि तरकारी के पेड़ों व बेलों का नामोल्लेख किया है।
- भोजन में आचार का विशेष महत्व है! यहाँ की स्थानीय भाषा में इसे “ आमा की चटनी ” भी कहा जाता है! यहाँ विभिन्न प्रकार के अचार बनाये जाते है, निम्बू के आचार, कटहल, गोभी, मिर्च, करोंदा, आमडा, का आचार भी स्वादिस्ट होता है, पर आचारो का राजा आम ही होता है!
- दुनिया के अनेक देशों की तरह हमारे देश का भी दुर्भाग्य है कि आम, केला, सेब, अंगूर, अनानास, अनार, पपीता सरीखे लोकप्रिय और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध फलों के सामने बेर, करोंदा, जामुन, बेल, खि रनी, फालसा, आंवला, अंजीर, कोकम, बड़ हल, शरीफा जैसे कम मात्रा में पैदा होने वाले दोयम दर्जे के दुर्बल फलों का स्वाद लोग बाग़ बाजार में उपलब्ध न होने के कारण भूलते जा रहे हैं...