कर्णिकार वाक्य
उच्चारण: [ kernikaar ]
उदाहरण वाक्य
- यूँ तो इन ग्रंथों में अशोक, बकुल, तिलक, कुरबक-इन चार ही वृक्षों से सम्बन्धित कवि-प्रसिद्धियाँ मिलती हैं, परन्तु अन्यत्र कुछ स्थानों पर कर्णिकार (अमलतास), चंपक (चंपा), नमेरु(सुरपुन्नाग), प्रियंगु, मंदार, आम आदि वृक्ष-पुष्पों के भी स्त्री-क्रियायों से उदगमित होने के उल्लेख हैं ।
- यूँ तो इन ग्रंथों में अशोक, बकुल, तिलक, कुरबक-इन चार ही वृक्षों से सम्बन्धित कवि-प्रसिद्धियाँ मिलती हैं, परन्तु अन्यत्र कुछ स्थानों पर कर्णिकार (अमलतास), चंपक (चंपा), नमेरु (सुरपुन्नाग), प्रियंगु, मंदार, आम आदि वृक्ष-पुष्पों के भी स्त्री-क्रियायों से उदगमित होने के उल्लेख हैं ।
- भगवान सूर्य को बेला, मालती, काश, माधवी, पाटला, कनेर, जपा, यावन्ति, कुब्जक, कर्णिकार, पीली कटसरैया, चंपा, रोलक, कुंद, काली कटसरैया, बर्बर मल्लिका, अशोक, तिलक, लोध, अरुपा, कमल, मौलसिरी, अगस्तय और पलाश के फूल तथा दूर्वा अतिप्रिय है।
- सोचता हूँ, रमणियों की यह अन्यान्य क्रियायें-पैरों की लाली, बाँकी चितवन, अयाचित मजाक, गाना-गुनगुनाना, इठलाना, मुस्कराना, निःश्वांस-उच्छ्वास-क्या ये कामिनियों के बाण हैं-और ये खुल-खिल जाने वाले आम्र, अशोक, प्रियंगु, नमेरु, कर्णिकार, मंदार-क्या इस बाण से पहली ही नजर में घायल चरित्र हैं, अवतार हैं? संस्कृत कवि-सम्प्रदाय व अन्योक्तियों में रस सदा इसी कोमलता या श्रृंगाराभास के आरोप से ही आता है न!