कुमारदास वाक्य
उच्चारण: [ kumaaredaas ]
उदाहरण वाक्य
- अपने देश में श्रद्धेय कविबंधु का ऐसा दुखद अंत कविह्र्दय नरेश कुमारदास सह न सके और उन्होंने कालिदास की चिता में अपने प्राणों की आहुति दे दी।
- प्रचलित जनश्रुति पर आधारित इस घटना के अनुसार ' श्रूयते न तु दृश्यते....' श्लोक की पहली पंक्ति अवश्य कुमारदास की थी पर इसी श्लोक की अंतिम पंक्ति महाकवि कालिदास की अंतिम साहित्यिक पंक्ति कही जाएगी।
- कविता की अधूरी पंक्ति दे ख, जब कालिदास उसे पूर्ण कर देते हैं और इस भय से कि कहीं कुमारदास को यह जानकारी न मिल जा ए, कामिनी विष पिलाकर कालिदास की हत्या कर देती है ।
- प्रचलित जनश्रुति पर आधारित इस घटना के अनुसार ' श्रूयते न तु दृश्यते.... ' श्लोक की पहली पंक्ति अवश्य कुमारदास की थी पर इसी श्लोक की अंतिम पंक्ति महाकवि कालिदास की अंतिम साहित्यिक पंक्ति कही जाएगी।
- अपने एक प्रणय-प्रसंग के दौरा न, कुमारदास द्वारा कविता की एक पंक्ति कामिनी को देक र, यह वचन दिया जाता है कि यदि वह उसे पूरा कर देती ह ै, तो राजा उससे विवाह कर लेंगे ।
- विधानसभा क्षेत्र 176 हरसूद:-हरसूद विधानसभा के लिये लेखा अधिकारी इंदिरा सागर परियोजना एन. एच. डी. सी. ओंकारेश्वर मनोबिन्दो कुमारदास तथा सहायक ग्रेड-2 वाणिज्यकार विभाग ओमप्रकाश भावसार को नियुक्त किया गया है।
- ५ नवंबर २ ० ११ को रायगढ़ इप्टा द्वारा २ ५ दिवसीय कार्यशाला में तैयार प्रवीण गुंजन के निर्देशन और कुमारदास टी एन के कला निर्देशन में ' ओह ओह इंडिया ' की प्रस्तुति देखने का सौभाग्य मिला.
- इस नाटय त्रयी का पहला नाटक है कन्धे पर बैठा था शाप जो कालिदास के अन्तिम दिनों, अन्तिम उच्चरित शब्दों, अन्तिम पद्य-रचना, उनके प्रायः विस्मृत मित्र कवि कुमारदास और उस मित्र के प्रेम-प्रसंग के माध्यम से स्त्री-विमर्श का एक नया वातायान खोलता है।
- इस नाटय त्रयी का पहला नाटक है कन्धे पर बैठा था शाप जो कालिदास के अन्तिम दिनों, अन्तिम उच्चरित शब्दों, अन्तिम पद्य-रचना, उनके प्रायः विस्मृत मित्र कवि कुमारदास और उस मित्र के प्रेम-प्रसंग के माध्यम से स्त्री-विमर्श का एक नया वातायान खोलता है।
- कालिदास, कुमारदास, भट्टि, प्रवरसेन जैसे कवियों और भास, भवभूति, दिङनाग जैसे नाटककारों ने राम के मानवीय रूप को अक्षुण्ण रखा है दसवीं-ग्यारहवीं शताब्दी में भारतीय भाषाओं ने संस्कृति और प्राकृत से पल्ला छुड़ाकर नया रूप ग्रहण किया तो इन भाषाओं में भावना की तुष्टि के लिए संस्कृत से स्वतंत्र भक्ति साहित्य की आवश्यकता हुई।