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कूण वाक्य

उच्चारण: [ kun ]

उदाहरण वाक्य

  1. संभवत: यही अनुश्रुतियों में वर्णित कूण पांड्य नाम का राजा था जिसने संत संबदर से प्रभावित होकर शैव सिद्धांत की दीक्षा ली और जैनियों को त्रस्त किया।
  2. “ इसे कूण चोदे! साली भुक्खी है लौड़े की … भोसड़ा तो म्हारी भासा है बन्ना सा! ” मैं उसके मोटे लण्ड को पाकर निहाल हो गई थी।
  3. लसाडिया उपखंड क्षेत्र के कूण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में गंदगी देखकर कलेक्टर हेमंत गेरा ने स्टाफ को जमकर फटकार लगाई और भविष्य में अस्पताल में सफाई रखने के लिए पाबंद किया।
  4. “ सुण मियाँ, थारी भाषा कूण सी न्यारी सै, बता इसका क्या अर्थ सै.... ” दस्त से खाना परोसा फूफी ने, पेश आब बेगम ने कर दिया. ”
  5. चल डाकिनी, शाकिनी, चौडूँ मैला बाकरा, देस्यूँ मद की धार, भरी सभा में द्यूँ आने में कहाँ लगाई बार? खप्पर में खाय, मसान में लौटे, ऐसे काला भैरुँ की कूण पूजा मेटे।
  6. ताऊ जी ना तो मै कभी बेंगलोर ही गया हुं, ओर हरे रामा हरे कृषणा यानि इस्कान अरे बाबा मै तो इन गोरो के मंदिर छोडो अपने मंदिर नही जाता, इस कारण मैणे वेरां नही यह कूण सा मंदिर है
  7. अरे ताऊ सुबह का दिमाग खराब कर रखा है, ओर पूछन लाग रिहा शे यह कूण सी जगह शे तो सुण यह वो जगह से जो मेणे नही बेरा,ईब कित ते बेरा पट्टॆ मै तो कदे गया नही ना उस ससुरी नचनिया की छोरी के गांव मए.....
  8. मोहल्ले की मासिक बैठक में जब फिर वही बात दोहरायी गयी तो उनसे रहा नहीं गया, बोले...“सुण मियाँ, थारी भाषा कूण सी न्यारी सै, बता इसका क्या अर्थ सै....”दस्त से खाना परोसा फूफी ने, पेश आब बेगम ने कर दिया.” सावधान.मियाँ,... आगे अर्थ के अनर्थ मत करियो.....
  9. यह गीत उस समय गाते हैं जब बारात विवाह के लिए वर के घर से चलती है-' काँगड़ आया राईं वर धरहर कंप्या, राज बूझां सिरदार बनी ने कामण कूण कइया छै राज।' राजस्थानी स्त्रियाँ जब वर एवं बारात, का न्योता देने के लिए जनवासे में जाती हैं अथवा जब वे कुम्हार की चाक पूजने जाती हैं तो 'जलो गीत' गाती हैं जैसे-'जला जी मारू, म्हे तो थां डेरा निरखण आई हो मिरणा नैणी रा जलाल'।
  10. ब्लॉगिंग पर स्वागत उस आदमी द्वारा जिसने हरियाणवी उपन्यास ' समझणिये की मर लिखा जो कुरुक्षेत्र विश्व वि.व महऋषि दयानद विश्व.वि.के एम.ए फ़ाइनल के पाठ्यक्रम में शामिल है,हरियाणवी बोली की प्रथम दोहा सतसई-औरत बेद पाचंमां सहित हिन्दी पंजाबी हरियाणवी की २० पुस्तक लिखी व लखमीचंद पुरुस्कार से नवाजा गया एक दोहा देखें बीर मरद म्हं हो रह्यी एकै बस तकरार घर का माल्यक कूण सै,जिब तनखा इकसार ‘.जानेमन इतनी तुम्हारी याद आती है कि बस......' इस गज़ल को पूरा पढें यहां श्याम सखा ‘श्याम'
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