खेड़ा गाँव वाक्य
उच्चारण: [ kheda gaaanev ]
उदाहरण वाक्य
- शरद यादव ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डोंडिया खेड़ा गाँव में सोने की खुदाई के लिये केन्द्रीय मंत्री चरण दास महंत ने अंध विश्वास फैलाने का काम किया है और इसके लिये उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया जाना चाहिए।
- उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में डौंडिया खेड़ा गाँव के एक खंडहरनुमा किले में सोने की खोज में जुटी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की टीम को आठ दिन की खुदाई के बाद कुछ लोहे की कीलें, चूड़ियों के टुकड़े और मिट्टी के चूल्हे मिले हैं.
- जैसे बिना किसी सत्य की जाँच किये ' फुकरे ' फिल्म की ' रीचा चड्ढा, लाटरी के लिए लाख रूपये की दाँव खेलती है, ठीक वैसे ही सरकार ने बिना किसी साक्ष्य के, शोभन सरकार के सपने के आधार पर उन्नाव के डौंडिया खेड़ा गाँव में 1000 टन सोने की खुदाई के लिए दाँव चली है.
- शहीद राजगुरु का पूरा नाम ‘ शिवराम हरि राजगुरु ‘ था. राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे ज़िले के खेड़ा गाँव में हुआ था, जिसका नाम अब ‘ राजगुरु नगर ‘ हो गया है. उनके पिता का नाम ‘ श्री हरि नारायण ‘ और माता का नाम ‘ पार्वती बाई ‘ था. बहुत छोटी उम्र में ही ये वाराणसी आ गए थे.
- कभी-कभी आल्हा गाते हुए वे स्टेज पर पैर पटकते हुए इतनी आगे बढ़ जाते थे कि हम छोटे बच्चों को लगता था कि अभी तलवार भाँजते हुए टी. वी. के बाहर आ जायेंगे शुरू में तो डर लगता था, फिर तो ये हाल था कि इधर उनका आल्हा-गायन शुरू उधर हमलोग पढ़ाई-लिखाई, खेल-कूद छोड़कर टी.वी. के सामने माँ चन्द्रिका देवी के उपासक श्री लल्लू बाजपेयी उन्नाव जिले के नारायणदास खेड़ा गाँव के रहने वाले थे.
- साधू को स्वपन में खजाना दिखने और उसके बाद खुदाई चालु करने के कारण उन्नाव जिले का डोडिया खेड़ा गाँव अचानक मीडिया में चर्चित हो गया! लेकिन क्या स्वपन में दिखाई देने वाली बातें सच भी हो सकती है इसको लेकर एक नयी बहस जरुर छिड गयी! हालांकि स्वपनों को लेकर हमेशा से विरोधाभासी रुख ही रहा है और कुछ लोग जहां स्वपनों की सत्यता को सिरे से नकारते रहे हैं वही ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो स्वप्नों की सत्यता पर शतप्रतिशत सहमत नहीं है लेकिन एकदम से नकारते भी नहीं है!
- साधू को स्वपन में खजाना दिखने और उसके बाद खुदाई चालु करने के कारण उन्नाव जिले का डोडिया खेड़ा गाँव अचानक मीडिया में चर्चित हो गया! लेकिन क्या स्वपन में दिखाई देने वाली बातें सच भी हो सकती है इसको लेकर एक नयी बहस जरुर छिड गयी! हालांकि स्वपनों को लेकर हमेशा से विरोधाभासी रुख ही रहा है और कुछ लोग जहां स्वपनों की सत्यता को सिरे से नकारते रहे हैं वही ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं है जो स्वप्नों की सत्यता पर शतप्रतिशत सहमत नहीं है लेकिन एकदम से नकारते भी नहीं है!