गाँधी आश्रम वाक्य
उच्चारण: [ gaaanedhi aasherm ]
उदाहरण वाक्य
- निर्देशक नरेश चंद्र लाल ने बताया कि सेलुलर जेल के बाद महाराष्ट्र के वर्धा स्थित गाँधी आश्रम सेवा ग्राम में भी इस फिल्म की शूटिंग होगी और यह फिल्म दिसम्बर, 2010 में रिलीज होगी।
- गुजरात लोक समिति के अध्यक्ष चुन्नी भाई वैद ने इसके विरोध में प्रभावित गाँवों के ग्यारह हजार एक सौ ग्यारह लोगों का साबरमती के गाँधी आश्रम से गुजरात की राजधानी गाँधीनगर तक मार्च रखा था।
- सन् 1920 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्ययनरत लगभग 11 छात्रों ने गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने के लिए अपना अध्ययन त्यागकर काशी में भारतवर्ष के प्रथम ' श्री गाँधी आश्रम ' की स्थापना की।
- गाँधी आश्रम के बहुत से व्यक्ति खादी का इस्तेमाल करते है उसमे कुछ भ्रष्ट भी हो सकते है, व बहुत से व्यक्ति अच्छे भी मिलेंगे पुलिस विभाग ज़्यादा भ्रष्ट है, सेना सबसे कम है!
- गाँधी आश्रम के सचिव रामेश्वर नाथ मिश्रा बताते है कि यही वो वक्त होता है, जिसमे करीब पूरे साल कि ८ ५ फीसदी की बिक्री होती है, शेष १ ५ फीसदी वर्ष भर में की जाती ।
- यह निष्कर्ष उत्तम है सवाल यह है कि कैसे इससे बचकर आगे बड़ा जाये गीत को हम भी गाँधी जयंती पर गाँधी आश्रम की प्रदर्शनी पर सुन सुन कर भनभना जाते थे लगता है क्या वह समय अपने प्रवाह में खींचकर हमें एकबार पुनः निर्मल कर देगा
- गिरधारी लाल साह पिता का नाम-नाथ लाल साहनिवासी कतियूर बाजार, बागेश्वर१९४२ स्वंत्रतता आन्दोलन मे भाग लेने के आरोप मे तीन माह की कठोर कारावास और २५ रूपये का अर्थ दंड! इसे ना देने पर एक माह की सख्त कैद हुयी! गिरफ्तारी के समय श्री गाँधी आश्रम चौनौदा (कौसानी) के कार्यकर्त्ता रहे!
- इसी यात्रा के दौरान नगर से दूर गाँधी आश्रम में आयोजित एक सभा में अपने विचार मैं हिंदी में व्यक्त कर रहा था कि कुछ नौजवानों ने उठकर नम्र भाव से कहा कि वे मेरी बात समझ नहीं पा रहे हैं और उन्होंने रोष भरे शब्दों में कहा कि हमारी पीढ़ी की इस असमर्थता के दोषी हैं वे बुजुर्ग जो आपके साथ मंच पर विराजमान हैं ।
- इसी यात्रा के दौरान नगर से दूर गाँधी आश्रम में आयोजित एक सभा में अपने विचार मैं हिंदी में व्यक्त कर रहा था कि कुछ नौजवानों ने उठकर नम्र भाव से कहा कि वे मेरी बात समझ नहीं पा रहे हैं और उन्होंने रोष भरे शब्दों में कहा कि हमारी पीढ़ी की इस असमर्थता के दोषी हैं वे बुजुर्ग जो आपके साथ मंच पर विराजमान हैं ।
- आज जब प्रवीण पाण्डेय जी के ब्लॉग पर वर्धा में गाँधी आश्रम के बारे में पढ़ रहा था तो सहसा ही कुछ भाव मन में जागे अपने गाँधी के बारे में! मैंने जो कमेन्ट पाण्डेय जी के ब्लॉग पर छोड़ी है, सोचा उसको एक ब्लॉग पोस्ट के रूप में सहेज कर रख लूं-शायद पिताजी पढेंगे तो एक अहसास हो कि बाहर वालो के साथ घर में भी उनके महान कार्य को हम हर पल अपना अमूल्य धन मानकर गौरब अनुभव करते हैं-