गायत्री-मन्त्र वाक्य
उच्चारण: [ gaaayetri-menter ]
उदाहरण वाक्य
- उपनयन-संस्कार में गुरुमुख द्वारा इसी मन्त्र के उपदेश से द्विजत्व प्राप्त होता है और नित्य-सन्ध्याकर्म में मुख्य रूप से प्राणायाम, सूर्योपस्थान आदि द्वारा गायत्री-मन्त्र के जप की सिद्धि में ही सहायता प्राप्त होती है।
- गीता-सूत्र 10. 26, 7.8, 9.17, 17.23, 10.25, 10.35, 10.33, 8.20, 8.21, 10.22 गीता में परम श्री कृष्ण कहते हैं-पीपल का पेंड, आकाश में शब्द, ओंकार, गायत्री-मन्त्र मैं हूँ ।
- कभी आप अकेले एकांत में अपनें कमरे में गायत्री-मन्त्र को एक लय में आँखे बंद करके गुनगुनाना, जब आप कई दिन ऐसा करेंगे तो बाद में आप को गुनगुनाना नही पडेगा, कमरे की दीवारों से गायत्री की धुन स्वतः निकलती होगी-आप ऐसा करके देखें ।
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