गोपीनाथ शर्मा वाक्य
उच्चारण: [ gaopinaath shermaa ]
उदाहरण वाक्य
- इसमें इतिहासविद् डा. मथुरालाल शर्मा, डा. दशरथ शर्मा, उपकुलपति डा. पाण्डे, डा. खडगावत (पुरा लेखाधिकारी) तथा डा. गोपीनाथ शर्मा सम्मिलित हुए।
- आते ही उन्होंने राजनीति शात्र और इतिहास के विषय को अलग कर इसके दो विभाग बना दिये और इतिहास विभाग के रिक्त हुए पद पर डा. गोपीनाथ शर्मा को बुलवा लिया।
- (वही-पृष्ठ 238-247) (इतिहास के पुरोधा-मेवाड़ के इतिहास को उजागर करने वाले मेवाड़ के गौरव-कविराज जी, ओझाजी व 31 गोपीनाथ शर्मा-आगामी लेखों में उनके बारे में जानकारी मिलेगी।
- डॉ गोपीनाथ शर्मा [8] इस शिलालेख के बारे में लिखते हैं कि वि.स. 1248 ज्येष्ठ बड़ी 6 (4 मई 1192 ई.) के इस लेख में गुहलोत्र (गहलोत) वंशी राणा मोटीस्वरा के साथ उसकी मोहिल रानी राजी के सती होने का लेख है.
- परन्तु डॉ. गोपीनाथ शर्मा की राय में उदयसिंह को कायर या देशद्रोही कभी नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसने बणवीर, मालदेव, हाजी खाँ पठान आदि के विरुद्ध युद्ध लड़कर अपने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था।
- इनमें सर्वश्री फ़तेहबहादुर, मूलचन्द, सच्चिदानन्द, राधो गोस्वामी, नारायण लाल, परमानन्द, गोपीनाथ शर्मा, छोटे नत्थो सर्राफ, बिहारीलाल उर्फ बिहारी, श्रीगोविंद, रामजी लाल, प्यारेलाल, लक्ष्मीनारायण, शिवचरण, प्रभातीलाल, श्यामसुन्दर, राधारमण, श्रीनाथ उर्फ सीनो, गेंदालाल, दम्भो सरदार, सीताराम, नन्दकुमार शुक्ल एवं हरिशंकर प्रमुख थे ।