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गोभिल वाक्य

उच्चारण: [ gaobhil ]

उदाहरण वाक्य

  1. अष्टकाओं के विषय में आश्वलायन, कौशिक, गोभिल, हिरण्यकेशी एवं बौधायन के गृह्यसूत्रों में विशद विधि दी हुई है।
  2. शुक्ल यजुर्वेद का पारस्कर, कृष्ण यजुर्वेद के आपस्तम्ब, हिरण्यकेशी, बौधायन, मानव, काठक और वैखानस, सामवेद के गोभिल तथा खदिर और अथर्ववेद का कौशिक।
  3. वंश के पूर्व पुरुष के नाम, जैसे-सान्याल (शाण्डिल्य), नारद, विशष्ठ, कौशिक, भारद्वाज, काश्यप, गोभिल ये नाम वंश या गोत्र के सूचक हैं।
  4. जैसे यजुर्वेद का कात्यायन ने बनाया है, सामवेद का गोभिल ने, ऋग्वेद का आश् वलायन ने और अथर्ववेद का कौशिक ने।
  5. इनमें मेरी जानकारी में निम्न प्रमुख हैं-1-वैदिक सूत्रों वाला-जैसे वाजसनेयी, आंगिरस आदि 2-स्मृतियों वाला-मनु, पराशर, गोभिल, मौद्गल आदि।
  6. [12] आपस्तम्ब *, शांखायन *, बौधायन *, भारद्वाज * एवं गोभिल * गृह्यसूत्र तथा याज्ञवल्क्य *, आपस्तम्बधर्मसूत्र * स्पष्ट कहते हैं कि वर्षों की गणना गर्भाधान से होनी चाहिए।
  7. गोभिल गृह्यसूत्र [182] ने यह कहकर आरम्भ किया है कि रात्रि अष्टका की देवता है, किन्तु इतना जोड़ दिया है कि देवता के विषय में अन्य मत भी हैं, यथा-अग्नि, पितर, प्रजापति, ऋतु या विश्वे-देव।
  8. गोभिल गृ. सू. के अनुसार “ मेधाजनन ' संस्कार के समय पिता शिशु को मधुघृत का प्राशन कराकर उसके कान में कहता था “ तू वेद है ' तथा उसके साथ उसका एक नाम भी रखता था, जिसे अभिचार भय से गुप्त रखा जाता था।
  9. * बड़नगरा, विशनगरा, भटनागर, नागर, माथुर, मूलगाँवकर इत्यादि स्थानवाचक नाम हैं, * वंश के पूर्व पुरुष के नाम, जैसे-सान्याल (शाण्डिल्य), नारद, विशष्ठ, कौशिक, भारद्वाज, काश्यप, गोभिल ये नाम वंश या गोत्र के सूचक हैं।
  10. उल्लेख्य है कि नामकरण की समयावधि के विषय में प्राचीन सूत्रकारों तथा स्मृतिकारों में बड़ा मतभेद पाया जाता है, यथा-आश् व. शांखा., गोभिल, खादिर, काठक एवं वृहदारण्यकोपनिषद् के मत से कतिपय धर्मशास्रोकारों के मत से भी शिशु का नामकरण जन्म के दिन ही कर दिया जाना चाहिए।
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