गौतम गणधर वाक्य
उच्चारण: [ gaautem ganedher ]
उदाहरण वाक्य
- केशी श्रमण ने गौतम गणधर से पूछा कि आपका मन आपको दुष्ट घोड़े की तरह पथभ्रष्ट क्यों नहीं करता? तो गौतम गणधर ने कहा, मैं अपने मन को धर्म की शिक्षा द्वारा शांत करता हूं।
- केशी श्रमण ने गौतम गणधर से पूछा कि आपका मन आपको दुष्ट घोड़े की तरह पथभ्रष्ट क्यों नहीं करता? तो गौतम गणधर ने कहा, मैं अपने मन को धर्म की शिक्षा द्वारा शांत करता हूं।
- आचार्य कुन्दकुन्द को श्री गौतम गणधर के बाद एक मात्र संपूर्ण जैन शास्त्रों के ज्ञाता माना गया है| दिगम्बरों के लिए इनके नाम का शुभ महत्त्व है और भगवान महावीर और गौतम गणधर के बाद पवित्र स्तुति में तीसरा स्थान है|
- आचार्य कुन्दकुन्द को श्री गौतम गणधर के बाद एक मात्र संपूर्ण जैन शास्त्रों के ज्ञाता माना गया है| दिगम्बरों के लिए इनके नाम का शुभ महत्त्व है और भगवान महावीर और गौतम गणधर के बाद पवित्र स्तुति में तीसरा स्थान है|
- जिज्ञासु: जैन धर्म में गुरु पूर्णिमा का क्या महत्त्व है? मुनिश्री: भगवान महावीर के प्रमुख शिष्य गौतम गणधर को भगवान महावीर जैसे गुरु की आषाढ़ माह की पूर्णिमा में प्राप्ति हुई थी इसलिए यह पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा बन गई।
- केशी कुमार के इस संबंध में प्रश्न करने पर, गौतम गणधर ने बतलाया कि पूर्वकाल में मनुष्य सरल किन्तु जड़ (ऋजु जड़) होते थे और पश्चिमकाल में वक्र और जड़, किन्तु मध्यमकाल के लोग सरल और समझदार (ऋजु प्राज्ञ) थे।
- भगवान् की भक्ति के प्रभाव से वह मर कर देव हो गया, वहाँ उसे याद आते ही सर्व प्रथम वह महावीर के समवसरण में आकर भक्तिपूर्वक नाचने लगा, उसके मुकुट में मेंढक का चिन्ह देखकर राजा श्रेणिक ने गौतम गणधर से उसके बारे में पूछा ।