ग्रामदेवी वाक्य
उच्चारण: [ garaamedevi ]
उदाहरण वाक्य
- महाभारत युद्ध सँ पूर्व किछु दिन तक सिद्धार्थ क्षेत्रक एहि सरिसब गाम के अपन साधना भूमि बनौने छलाह एवं एहि गामक ग्रामदेवी माता सिद्धेश् वरी आ गामक पश् चिम मे सिद्धेश् वर नाथ महादेवक स्थापना कएने छलाह ।
- केनरा बैंक की नौकरी के दिनों में कुछ समय सातारा जिले के शिरवल ग्राम (तालुक खंडाला) में कुलकर्णी काका के घर रहा था जहां इस दिन ग्रामदेवी अंबिका माता की वार्षिक यात्रा बड़े धूमधाम से निकली जाती है।
- उस दिन उसने ग्रामदेवी के मंदिर के पास मनोहर को देखा तब उससे कहा, ‘‘ बचपन से तुम मुझे चाहते हो, पर अब शादी से इनकार कर रहे हो, क्योंकि कहीं और शादी करने से तुम्हें दहेज मिलेगा।
- इनके अलावा और भी कई देव हैं जैसे-मढुआदेव, हरदुललाला, पघिर, ग्रामदेवी, खेडापति, भंसासर, चंडीमाई, खेडामाई, घुरलापाट, भीमसेनी, जोगनी, बाघदेवी, मेठोदेवी आदि को पूजते हुए अपनी आस्था की लौ जलाए रहते हैं, वहीं अपनी आदिम संस्कृति, परम्पराओं, संस्कृति, रीत-रिवाजों, तीज-त्योहारों मे गहरी आस्था लिए शान से अपना जीवन यापन करते हैं।
- ठीक इसी प्रकार ईश्वर उपासना के साथ साथ गोरम गैशिरी (संस्थापक / ग्रामदेव) देशाउली (ग्रामदेवता), पौणि (बुरु बोंगा / वनदेव), जयरा (नारीशक्ति / ग्रामदेवी), गोवन बोंगा (रक्षा देव) हाम हो-दूम हो को (इष्ट देवगण), गुरुवीर को (गुरु देव), नागे एरा-बिंदी एरा (जल के देवी देवता) इत्यादि प्राकृतिक शक्तियों का उपासना किया जाता है।
- सबसे खूबसूरत बात ये कि गाँव और यादो को जिस तरह आपस में पिरोया गया है | बस यूँ समझ लीजिये कि हरे रंग के गोटे में सफ़ेद रंग का रेशम | अपना बचपन अपना गाँव कभी छोड़ नहीं पाते और वो हमारे साथ चलते हैं | हमारे दिलों में | बचपन का परिवेश भले ही बदल जाये पर याद एक ही रंग ही होती है | ” अस्ताचल से उठती गोधूलि के परिदृश्य में अपने विलोपित खेत खलिहान और उसमें से झांकता स्नेहिल आँखों से लबालब ग्रामदेवी सा दमकता तुम्हारा चेहरा...