जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी वाक्य
उच्चारण: [ jenni jenmebhumishech sevregaaadepi gariyesi ]
उदाहरण वाक्य
- कभी राम ने सोने की लंका को छोड़ कर अयोध्या में बसना स्वीकार किया था और लक्ष्मण से कहा था अपि स्वर्णमयी लंका लक्ष्मण मम न रोच्यते, जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.
- जायसवाल ने हिंदू राज्यतंत्र नामक अपनी पुस्तक का समापन इस सूक्ति से किया: जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी, जिसका अर्थ है कि जननी तथा जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर है.
- हमलोग पढ़ा करते थे आरुणि की गुरुभक्ति! जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी! मातृवत परदारेषु, परद्रवेषु लोष्टवत! … पहले के शिक्षक भी अपने शिष्य को अपने पुत्र के भांति चाहते थे.
- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ' इसलिए मैं हजार गरीबी, बीमारियों, अभावों, अनाचार-अत्याचारों व गन्दगी आदि नकारात्मक परिस्थितियों के होते हुए भी ‘ मेरा भारत महान ' ही कहना चाहूँगा. क्योंकि वहाँ मेरा अपनापन है.
- यह बहुत बड़ी तकलीफ के साथ ही हुआ है कि देशभक्ति-जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी-जिसके मुताबिक जन्मभूमि के चप्पे चप्पे के लिए हमारे खून का आखिरी कतरा तक न्यौछावर होना है, ऐसे महान विचार से हम आज अपने आप को सहमत नहीं पाते।
- यह बहुत बड़ी तकलीफ के साथ ही हुआ है कि देशभक्ति-जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी-जिसके मुताबिक जन्मभूमि के चप्पे चप्पे के लिए हमारे खून का आखिरी कतरा तक न्यौछावर होना है, ऐसे महान विचार से हम आज अपने आप को सहमत नहीं पाते।
- तो उन अभिशप्त कानों में पिघला सीसा उड़ेलने का विधान है “, क्यों भई? क्या यह भारतवर्ष यानि ” जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ” ' के उपज नही थे? या हम स्वंय ही इतने जनेऊ-संवेदी क्यों हैं, भई? नेतृत्व चुनते समय विकल्पहीनता का रोना रो..
- तो उन अभिशप्त कानों में पिघला सीसा उड़ेलने का विधान है “, क्यों भई? क्या यह भारतवर्ष यानि ” जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ” ' के उपज नही थे? या हम स्वंय ही इतने जनेऊ-संवेदी क्यों हैं, भई? नेतृत्व चुनते समय विकल्पहीनता का रोना रो..
- के बोले मां तुमि अबले! जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी! ——————– के बोले मां तुमि अबले! बहुबलधारिणीम् नमामि तारिणीम्, …रिपुदलवारिणीम् मातरम् | ——————— पर अम्ब तेरे पूत रिपु बने हैं, भाई ने भाई का रक्तपान किया है, सोवरेन सोशलिस्ट सेक्युलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक में, कैपिटलिस्म का अवतार एंटीलिया खड़ा है!
- तुम अगर सूर्य के जीवन से चले जाने पर चिल्लाओगे तो आँसू भरी आँखे सितारे कैसे देखेंगी?-रविंद्रनाथ टैगोर जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी--महर्षि वाल्मीकि (रामायण) (जननी (माता) और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक श्रेष्ठ है) जो दूसरों से घृणा करता है वह स्वयं पतित होता है-विवेकानन्द जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है.