जपुजी साहिब वाक्य
उच्चारण: [ jepuji saahib ]
उदाहरण वाक्य
- वृतांतों में इस बात की साक्षी मौजूद है कि इस अलौकिक अनुभव की प्रेरणा से गुरुजी ने मूलमंत्र का उच्चारण किया था, जिससे ' जपुजी साहिब ' का आरंभ होता है।
- बहुत-से सिक्खों ने भी जपुजी साहिब के भाष्य किए, लेकिन सबसे आला दरजे का भाष्य रजनीश जी का माना जाता है, और सिक्ख मत के मानने वालों में भी माना जाता है।
- मैं तुझसे ज्यादा अच्छा सुन लेती हूँ, मैं बिना चश्मा लगाए जपुजी साहिब का पाठ कर लेती हूँ फिर तू सत्तर का हुआ तो क्या और मैं नब्बे की दहलीज पे पहुँची तो क्या।
- धर्मकोट ((मोगा))-!-बाबा गेदी राम सर्वहितकारी मंदिर में स्कूल प्रिंसिपल जतिंद्र बजाज की देखरेख गुरुपर्व के उपलक्ष्य में ब"ाों व स्कूल स्टाफ की ओर से गुरु की बाणी श्री जपुजी साहिब जी के पाठ के भोग डाले गए।
- पटियाला-विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल की बैठक जिला मंत्री लखविंदर सरीन की अध्यक्षता में हुई, जिसमें बठिंडा के गांव डिबीवाला में श्री जपुजी साहिब व अन्य धार्मिक ग्रंथों को जलाने की कठोर शब्दों में निंदा की गई।
- किसी भी सिख ने चाहे कितनी भी भयंकर गलती की हो उसे सजा के तौर पर गुरुद्वारा साहिब में सेवा करना, बर्तन मांजना, कीर्तन सुनना, श्री जपुजी साहिब का पाठ करना व अरदास करवाने की ही धार्मिक सजा लगती है।
- जपुजी साहिब ” का पाठ करके भाई लंगाह आदि सिखों को कहा कि अब हमरी परलोक गमन कि तैयारी है | आप जी श्री हरिगोबिंद को धैर्य देना और कहना कि शोक नहीं करना, करतार का हुकम मनना | हमारे शरीर को जल प्रवाह ही करना, संस्कार नहीं करना |
- सिक्ख धर्म के पवित्र एवं महान् धर्मग्रंथ गुरू ग्रंथ साहिब में पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति रक्षा, जीवरक्षा, सृष्टिरक्षा के विषय में महत्वपूर्ण मान्यताआें का वर्णन हुआ है जपुजी साहिब दो सौ तिरपन पंक्तियों की है इसके आरंभ में मंगलाचरण में गुरू नानक देव जी ने बतलाया है कि परमात्मा एक है वह विश्व का निर्माता और सृजक है ।
- सतिगुरु जी ने फ़रमाया कि भाई! सिक्ख को हर कार्य के प्रारम्भ के समय कड़ाह प्रसाद करके उसे पवित्र चौंकी पर रख कर ऊपर साफ़ कपड़े से ढक कर पास बैठ कर पूरी पवित्रता से जपुजी साहिब का पाठ करना या करवाना चाहिए | इसके पश्चात कार्य कि सफलता के लिए खड़े होकर हाथ जोड़कर नम्रता से अरदास करनी अथवा करवानी चाहिए | फिर जो भी कार्य होगा अवश्य सिद्ध होगा |
- जब गुरु साहिब जी किसी भी तरह ना माने तो औरंगजेब ने गुरु जी को डराने के लिए भाई मति दास को आरे से चीर दिया और भाई दिआले जी को पानी की उबलती हुई देग में डालकर आलू की तरह उबाल दिया | दोनों सिखों ने अपने आप को हँस-हँस कर पेश किया | जपुजी साहिब का पाठ तथा वाहि गुरु का उच्चारण करते हुए सच खंड जा विराजे | बाकी तीन सिख गुरु जी के पास रह गए |