दामोदर पंडित वाक्य
उच्चारण: [ daamoder pendit ]
उदाहरण वाक्य
- वहीं मध्य एवं उत्तरी भारत की किसी भी आर्य देशी भाषा (Vernacular) का प्राचीनतम व्याकरण कोई तीन सौ वर्ष से ज्यादा पुराना नहीं है ऐसी दशा में भाषाओं के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से कुछ प्राचीन द्विभाषिक कृतियाँ, उदाहरण स्वरूप बारहवीं शती के प्रारंभ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित बोलचाल की संस्कृत भाषा सिखाने वाला ग्रंथ “ उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण ” से हिन्दी की प्राचीन कोशली या अवधी बोली के एवं 1280 ई.
- ऐसी दशा में भाषाओं के क्रमिक विकास एवं इतिहास के विचार से कुछ प्राचीन द्विभाषिक कृतियाँ, उदाहरण स्वरूप बारहवीं शती के प्रारंभ में बनारस के दामोदर पंडित द्वारा रचित बोलचाल की संस्कृत भाषा सिखाने वाला ग्रंथ “उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण” से हिन्दी की प्राचीन कोशली या अवधी बोली [3] के एवं 1280 ई. में संग्राम सिंह रचित संस्कृत प्रवेशिका “बाल-शिक्षा” और 1394 ई. में कुलमण्डन द्वारा रचित सरल संस्कृत व्याकरण “मुग्धावबोध औक्तिक” से प्राचीन गुजराती [4] के स्वरूप का कुछ बोध कराने में सहायता प्रदान करती हैं ।