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दृष्टिवाद वाक्य

उच्चारण: [ derisetivaad ]

उदाहरण वाक्य

  1. इस ग्रन्थ का विषय स्तोत्र बारहवें दृष्टिवाद श्रुतांग के अन्तर्गत द्वितीय पूर्व आग्रायणीय के चयनलब्धि नामक पञ्चम अधिकार के चतुर्थ पाहुड़ कर्म प्रकृति को माना जाता है।
  2. यहाँ यशोविजय ने दृष्टिवाद को अर्णव (समुद्र) बतलाकर उसकी विशालता, गंभीरता और महत्ता को प्रकट किया है तथा स्याद्वाद का उद्भव उससे प्रतिपादित किया है।
  3. यद्यपि श्रमण और श्रमणेतरों के वादों की चर्चा जैन परम्परा के दृष्टिवाद एवं भगवती सूत्र * और सूत्रकृतांग * में तथा बौद्ध परम्परा के त्रिपिटकों * में भी उपलब्ध होती है।
  4. इस दृष्टिवाद के अन्तर्गत ऐसे चौदह पूर्वों का उल्लेख किया गया है, जिनमें महावीर से पूर्व की अनेक विचार-धाराओं, मत-मतान्तरों तथा ज्ञान-विज्ञान का संकलन उनके शिष्य गौतम द्वारा किया गया था।
  5. जबकि दिगम्बर परम्परा कसायपाहुड और षट्खण्डागम-इन दो आगम ग्रन्थों के आधार पर इस दृष्टिवाद का कुछ ज्ञान वर्तमान में उपलब्ध मानती है, शेष प्रथम से लेकर ग्यारहवें अंग तक सभी का लोप मानती है।
  6. दिगम्बर परम्परा के * अनुसार वर्तमान में जो श्रुत उपलब्ध हैं वह 12 वें अंग दृष्टिवाद का कुछ अंग हैं, जो धरसेनाचार्य को आचार्य परम्परा से प्राप्त था और जिसे उनके शिष्य आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त ने उनसे प्राप्त कर षट्खण्डागम नामक आगम ग्रन्थ में लेखबद्ध किया।
  7. उद्भव आचार्य भूतबली और पुष्पदन्त द्वारा निबद्ध ‘ षट्खंडागम ' * में, जो दृष्टिवाद अंग का ही अंश है, ‘ सिया पज्जत्ता ', ‘ सिया अपज्जता ', ‘ मणुस अपज्जत्ता दव्वपमाणेण केवडिया ', ‘ अखंखेज्जा * ‘ जैसे ‘ सिया ' (स्यात्) शब्द और प्रश्नोत्तरी शैली को लिए प्रचुर वाक्य पाए जाते हैं।
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