द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी वाक्य
उच्चारण: [ devaarikaa persaad maaheshevri ]
उदाहरण वाक्य
- नवीन भाई, आप की स्मृति सही कह रही है दिनकर की कविता “ हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यूं बोला ” के बारे में लेकिन यह वाली कविता तो द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की है लगभग वैसी ही, उसी बात को कहती हुई।
- आधुनिककाल के पद्य रचनाकारों में सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह ' दिनकर ', द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, शिवमंगल सिंह ' सुमन ', हरिवंश राय ' बच्चन ', सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, भवानीप्रसाद मिश्र, प्रभाकर माचवे, जयप्रकाश भारती, कन्हैयालाल नन्दन आदि ने भरपूर योगदान किया है.
- आरसी प्रसाद सिंह, सोहन लाल द्विवेदी, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, निरंकार देव सेवक, श्री प्रसाद, अमृत लाल नागर, प्रमोद जोशी, रमेश तैलंग, प्रकाश मनु, डा शेरजंग गर्ग, अमर गोस्वामी, हरि कृष्ण देवसरे, शंकर बाम, राष्ट्र बन्धु, जगत राम आर्य आदि की एक लम्बी परम्परा है ।
- गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है......! मनुष्य अपने चरित्र को उज्जवल न रख सका तो वह एक आदरपूर्ण बिंदु के लिए तरसेगा....! महाकवि स्वर्गीय द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी, जिनकी आगामी १ दिसंबर को पुण्य-तिथि है, ने किन परिस्थितियों के मद्देनजर अपनी बाल मन को ओत-प्रोत करने वाली रचना “यदि होता मैं किन्नर नरेश मैं!” का सृजन किया।
- चाह रहे हम इस धरती को स्वर्ग बनाना अगर कहीं हो स्वर्ग, उसे धरती पर लाना सूरज, चाँद, चाँदनी, तारे सब हैं प्रतिपल साथ हमारे दो कुरूप को रूप सलोना इतने सुन्दर बनो कि जितना आकर्षण है॥-द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी लोहे के पेड़ हरे होंगे लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल, नम होगी यह मिट्टी ज़रूर, आँसू के कण बरसाता चल।