नर्क चतुर्दशी वाक्य
उच्चारण: [ nerk cheturedshi ]
उदाहरण वाक्य
- कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी (14वीं तिथि) को दिवाली पर्व का दूसरा दिन मनाया जाता है, जिसे नर्क चतुर्दशी अथवा नरक चौदस कहा जाता है...
- नर्क चतुर्दशी पर संध्या के समय स्नान कर कुलदेवता तथा पुरखों की पूजा की जाती है, तथा उन्हें नैवेद्य चढ़ाकर दीप प्रज्वलित किए जाते हैं...
- भद्रा 15: 06 तक, बुध प्रवेश करेंगे चित्रा नक्षत्र में 15:44 पे, शुक्र प्रवेश करेंगे ज्येष्ठ नक्षत्र में 19:08 पे, नर्क चतुर्दशी है और श्री हनुमान जयंती है
- कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी (14 वीं तिथि) को दिवाली पर्व का दूसरा दिन मनाया जाता है, जिसे नर्क चतुर्दशी अथवा नरक चौदस कहा जाता है...
- इसके अतिरिक्त इस चतुर्दशी को ' नरक चौदस ', ' रूप चौदस ', ' रूप चतुर्दशी ', ' नर्क चतुर्दशी ' या ' नरका पूजा ' के नाम से भी जाना जाता है।
- गणेश चतुर्थी * वसन्त पञ्चमी * मकर संक्रान्ति * महाशिवरात्रि * होली * राम नवमी * जन्माष्टमी * चकचंदा * रक्षाबन्धन * नवरात्रि * दशहरा * दुर्गा पूजा * करवा चौथ * अहोई अष्टमी *धनतेरस * नर्क चतुर्दशी दीपावली *गोवर
- यह भी माना जाता है कि दिवाली के दौरान तीन दिन तक (धनतेरस, नर्क चतुर्दशी तथा दीपावली) दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजन करने से मृत्यु के बाद यम यातना नहीं भोगनी पड़ती, तथा पूजन करने वाला सभी पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त होता है...
- यह भी माना जाता है कि दिवाली के दौरान तीन दिन तक (धनतेरस, नर्क चतुर्दशी तथा दीपावली) दीपक जलाकर विधिपूर्वक पूजन करने से मृत्यु के बाद यम यातना नहीं भोगनी पड़ती, तथा पूजन करने वाला सभी पापों से मुक्त होकर स्वर्ग को प्राप्त होता है...
- विजय के प्रतीक चिह्न के रूप में भगवान कृष्ण ने नरकासुर के रक्त से अपने मस्तक पर तिलक किया, तथा नर्क चतुर्दशी की सुबह वह घर लौट आए, जहां उनकी पत्नियों ने उन्हें सुगंधित जल से स्नान करवाया तथा इत्र का छिड़काव किया, ताकि नरकासुर के शरीर की दुर्गन्ध भगवान के शरीर से चली जा ए...
- दशहरा को मनाने के बाद का समय इस त्यौहार के लिये ही होता था, सबके लिये नए कपडे, मिठाईया और फटाको का इंतज़ार सबको ही रहता था, अनेक व्यंजन घर पर बनाने के लिये घर की महिलाये जुटी रहती थी, बचपन में माँ के द्वारा कराया गया नर्क चतुर्दशी का अभ्यंग सास्न आज भी सबको याद है, उनका उबटन और खुशबूदार साबुन से नहलाना आज सबको प्रासंगिक लगता है।