नवनीता देव सेन वाक्य
उच्चारण: [ nevnitaa dev sen ]
उदाहरण वाक्य
- पुस्तक-रेत लेखक-भगवानदास मोरवालप्रकाशक-राजकमल प्रकाशन मूल्य-350. 00 रुपएयहीं याद आती है मशहूर बांग्ला लेखिका नवनीता देव सेन के एक उपन्यास की वह बूढ़ी पात्र, जिसके जीवन का निचोड़ ही यह फलसफा होता है कि पुरुष स्त्रियों की देह का शिकार करने आते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे खुद ही शिकार हो गए हैं।
- पुस्तक-रेत लेखक-भगवानदास मोरवाल प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन मूल्य-350. 00 रुपएयहीं याद आती है मशहूर बांग्ला लेखिका नवनीता देव सेन के एक उपन्यास की वह बूढ़ी पात्र, जिसके जीवन का निचोड़ ही यह फलसफा होता है कि पुरुष स्त्रियों की देह का शिकार करने आते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे खुद ही शिकार हो गए हैं।
- पुस्तक-रेत लेखक-भगवानदास मोरवाल प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन मूल्य-350. 00 रुपएयहीं याद आती है मशहूर बांग्ला लेखिका नवनीता देव सेन के एक उपन्यास की वह बूढ़ी पात्र, जिसके जीवन का निचोड़ ही यह फलसफा होता है कि पुरुष स्त्रियों की देह का शिकार करने आते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे खुद ही शिकार हो गए हैं।
- पुस् तक-रेत लेखक-भगवानदास मोरवाल प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन मूल्य-350. 00 रुपएयहीं याद आती है मशहूर बांग् ला लेखिका नवनीता देव सेन के एक उपन् यास की वह बूढ़ी पात्र, जिसके जीवन का निचोड़ ही यह फलसफा होता है कि पुरुष स्त्रियों की देह का शिकार करने आते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे खुद ही शिकार हो गए हैं।
- लेखिका-नवनीता देव सेन किताब-वामा-बोधिनी हिन्दी अनुवाद-सुशील गुप्ता प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2004 नवनीता देव सेन के इस उपन्यास के बारे में किताब के ब्लर्ब में यह सूचना दी गयी है-“ रिसर्च के दौरान लिए गए नोट्स, डायरी के पन्ने, प्रेमियों के ख़त, ग्रामीण बालाओं के गीत, नायिका की विचारधारा, सम्पादक का जवाब-इन सबको मिलाकर इस कथा में, बिलकुल नए रूप में, बेहद सख्त, लेकिन बहुमुखी सत्य का सृजन किया गया है ” ।
- लेखिका-नवनीता देव सेन किताब-वामा-बोधिनी हिन्दी अनुवाद-सुशील गुप्ता प्रकाशक-राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2004 नवनीता देव सेन के इस उपन्यास के बारे में किताब के ब्लर्ब में यह सूचना दी गयी है-“ रिसर्च के दौरान लिए गए नोट्स, डायरी के पन्ने, प्रेमियों के ख़त, ग्रामीण बालाओं के गीत, नायिका की विचारधारा, सम्पादक का जवाब-इन सबको मिलाकर इस कथा में, बिलकुल नए रूप में, बेहद सख्त, लेकिन बहुमुखी सत्य का सृजन किया गया है ” ।