नारदीय पुराण वाक्य
उच्चारण: [ naarediy puraan ]
उदाहरण वाक्य
- वराह पुराण * एवं नारदीय पुराण * ने मथुरा के पास के 12 वनों की चर्चा की है, यथा-मधुवन, तालवन, कुमुदवन, काम्यवन, बहुलावन, भद्रवन, खदिरवन, महावन, लौहजंघवन, बिल्व, भांडीरवन एवं वृन्दावन ।
- मथुरा के बारह जंगल: वराह पुराण एवं नारदीय पुराण ने मथुरा के पास के 12 वनों की चर्चा की है-1. मधुवन, 2. तालवन, 3. कुमुदवन, 3. काम्यवन, 5. बहुलावन, 6. भद्रवन, 7. खदिरवन, 8. महावन (गोकुल), 9. लौहजंघवन, 10. बिल्व, 11. भांडीरवन एवं 12.
- नारदीय पुराण में आया है कि ग्रहों, नक्षत्रों एवं तारागणों को कालगति से (आकाश से) नीचे गिर पड़ने का भय है, किन्तु वे, जो कुरुक्षेत्र में मरते हैं पुन: पृथ्वी पर नहीं गिरते, अर्थात् वे पुन: जन्म नहीं लेते।
- यहाँ तक कि गंगा की भी तुलना कुरुक्षेत्र से की गयी है| नारदीय पुराण में आया है कि ग्रहों, नक्षत्रों एवं तारागणों को कालगति से (आकाश से) नीचे गिर पड़ने का भय है, किन्तु वे, जो कुरुक्षेत्र में मरते हैं पुन: पृथ्वी पर नहीं गिरते, अर्थात् वे पुन: जन्म नहीं लेते।
- पौराणिक ग्रंथों जैसे नारदीय पुराण (2 / 66 / 44), शिव पुराण (1 / 12 / 22 /-23) एवं वराह पुराण (1 / 71 / 47 / 48) और ब्रह्मा पुराण आदि में भी कुम्भ एवं अर्द्ध कुम्भ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है।
- पौराणिक ग्रंथों जैसे नारदीय पुराण (२ / ६६ / ४४), शिव पुराण (१ / १ २ / २२ /-२ ३) एवं वाराह पुराण (१ / ७ १ / ४ ७ / ४ ८) और ब्रह्मा पुराण आदि में भी कुम्भ एवं अर्ध कुम्भ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण उपलब्ध है ।
- मथुरा के बारह जंगल: वराह पुराण एवं नारदीय पुराण ने मथुरा के पास के 12 वनों की चर्चा की है-1. मधुवन, 2. तालवन, 3. कुमुदवन, 3. काम्यवन, 5. बहुलावन, 6. भद्रवन, 7. खदिरवन, 8. महावन (गोकुल), 9. लौहजंघवन, 10. बिल्व, 11. भांडीरवन एवं 12.
- नारदीय पुराण (2 / 66 / 44), शिव पुराण (1 / 12 / 22 / 23), वराह पुराण (1 / 71 / 47 / 48) और ब्रह्मा पुराण आदि पौराणिक ग्रंथों में भी कुम्भ एवं अर्द्ध कुम्भ के आयोजन को लेकर ज्योतिषीय विश्लेषण मिलते हैं, इनके अनुसार कुम्भ पर्व हर तीन साल के अंतराल पर देवभूमि उत्तराखंड की धरती पर स्थित तीर्थ नगरी हरिद्वार से शुरू होता है।
- अष्टसिद्धि के साथ नवनिधि का सयोंग बनता है और नवमुखी रूद्राक्ष धारक को नवनिधि, हाथी, घोड़े, रथ, दुर्ग, स्त्री, स्वर्ण, शस्त्र, धन, और धान्य मिलने के संयोग बनते है तथापि जो नो मोक्षदायक तीर्थ हैं (नैमिष, पुस्कर, गया, मथुरा, द्वारका, बद्रीकाश्रम, कु रूक्षेत्र, नमर्दा तथा पुरूषोत्तम) उनमें स्नान करने का फल प्राप्त होता है ऐसा नारदीय पुराण में लिखा है।
- यद् यपि प्रत् येक पुराण में अनेक देवी देवताओं का वर्णन हुआ है तथा प्रत् येक पुराण में अनेक विषयों का समाहार है तथापि शिव पुराण, भविष् य पुराण, मार्कण् डेय पुराण, लिंग पुराण, वाराह पुराण, स् कन् द पुराण, कूर्म पुराण, वामन पुराण, ब्रह्माण् ड पुराण एवं मत् स् य पुराण आदि में ‘ शिव ' को ; विष् णु पुराण, नारदीय पुराण, गरुड़ पुराण एवं भागवत पुराण आदि में ‘